Jamshedpur (Jharkhand) : झारखंड-बिहार में छात्राओं के लिए स्थापित एकमात्र जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी अराजक दौर से गुजर रही है। स्थिति यह है कि यदि कोई छात्रा अपनी समस्या लेकर जाए, तो उसका आवेदन या ज्ञापन तक रिसीव नहीं किया जाता है। इसका ताजा उदाहरण है, यूनिवर्सिटी का वाणिज्य (Commers) विभाग। पिछले दो दिसंबर से कॉमर्स स्नातक (UG) थर्ड सेमेस्टर की छात्राओं की परीक्षा शुरू हुई है। पहले ही दिन की परीक्षा में एक प्रश्न आउट ऑफ सिलेबस (Out of Syllabus) था। छात्राएं संकाय की डीन के यहां इसकी शिकायत करने गईं, तो उन्होंने उनका ज्ञापन लेने से इनकार कर दिया। अंततः छात्राओं को डीन के टेबुल पर ज्ञापन रख कर लौटना पड़ा।
क्या है छात्राओं की समस्या
पहले दिन 2 दिसंबर को निगमीय वाणिज्य (Corporate Commerce) की परीक्षा थी। प्रश्नपत्र में छह दीर्घ उत्तरीय (Long Type) प्रश्न होते हैं, जिनमें से चार प्रश्नों का उत्तर लिखना होता है। छात्राओं की शिकायत है कि छह में से एक प्रश्न आउट ऑफ सिलेबस था। उस दिन छात्राएं परीक्षा देकर चली गईं। पिछले शुक्रवार को दूसरे दिन एमडीसी (MDC) की परीक्षा के बाद छात्राओं ने पहले दिन की परीक्षा में आउट ऑफ सिलेबस प्रश्न पूछे जाने को लेकर एक आवेदन लिखा। आवेदन पर करीब 150 छात्राओं के हस्ताक्षर थे। आवेदन लेकर वे संकाय की डीन डॉ. दीपा शरण से मिलकर आवेदन देने के लिए करीब दो घंटे तक खड़ी रहीं। लेकिन, उन्होंने आवेदन नहीं लिया। उसके बाद छात्राएं उनके टेबुल पर आवेदन रख कर लौट गईं।
परीक्षा विभाग को भेजा गया आवेदन
यूनिवर्सिटी सूत्रों के अनुसार, छात्राओं के लौटने के बाद डॉ. दीपा शरण ने आवेदन देखा। इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक के पास आवेदन फॉरवर्ड कर दिया। हालांकि, उसके बाद परीक्षा विभाग या परीक्षा नियंत्रक ने छात्राओं की इस समस्या के समाधान की दिशा में क्या कदम उठाया है, इसकी जानकारी नहीं है।
कोर्स भी पूरा नहीं
छात्राओं ने बताया कि अभी कोर्स भी ठीक से पूरा नहीं हुआ है। जुलाई महीने में तीसरे सेमेस्टर की पढ़ाई शुरू हुई। इस बीच अक्टूबर-नवंबर में पूरा यूनिवर्सिटी प्रशासन और शिक्षक-शिक्षिकाएं दीक्षांत समारोह की तैयारियों में जुटे रहे। उसके बाद दिसंबर में परीक्षा शुरू हो गई। छात्राओं ने प्रश्नपत्र सेटिंग में भी गड़बड़ी का आरोप लगाया है। उन्होंने विषय विशेषज्ञों की बजाए, कुछ गिने-चुने चहेते शिक्षकों से क्वेश्चन सेटिंग कराने का आरोप लगाया है।
लोकायुक्त नहीं होना सबसे बड़ी समस्या
यूनिवर्सिटी में लोकायुक्त नहीं है। हालांकि, करीब डेढ़-दो साल पहले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के दबाव पर जमशेदपुर वीमेंस यूनिवर्सिटी में एक लोकायुक्त की नियुक्ति की गई थी। यूजीसी की कार्रवाई से बचने के लिए उन्हें ही कोल्हान विश्वविद्यालय में भी लोकायुक्त में भी प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया गया था। लेकिन, विडंबना है कि उन्होंने आज तक दोनों में से किसी भी यूनिवर्सिटी में योगदान तक नहीं दिया।
दरअसल, किसी भी विश्वविद्यालय में लोकायुक्त की नियुक्ति छात्र-छात्राओं की समस्याओं के समाधान के लिए की जाती है। यूनिवर्सिटी में लोकायुक्त एक ऐसे पदाधिकारी होते हैं, जिनके पास छात्र-छात्राएं पठन-पाठन से लेकर संस्थान में किसी भी तरह की समस्या लेकर जा सकते हैं। वे सक्षम अधिकारी या कर्मचारी को अवगत करा कर समस्या का समाधान कराते हैं। यह पद अवैतनिक होता है। बावजूद यूनिवर्सिटी में न तो लोकायुक्त है, ना लोकायुक्त का चैंबर बनाया गया है।
ऐसी कोई जानकारी नहीं : प्रवक्ता
इस संबंध में पूछने पर यूनिवर्सिटी के प्रॉक्टर सह प्रवक्ता सुधीर कुमार साहू ने बताया कि इस तरह की गड़बड़ी की कोई जानकारी उन्हें नहीं है।

