चाईबासा : पश्चिमी सिंहभूम जिले के पीएमश्री विद्यालयों में तकरीबन 2 करोड़ रुपये की सामग्री खरीद और भुगतान में गड़बड़ी का मामला सामने आया है, जिसने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उपायुक्त चंदन कुमार द्वारा गठित एक जांच दल ने इस मामले की पड़ताल की और पाया कि जिला शिक्षा पदाधिकारी टोनी प्रेमराज टोपनो सहित कई अधिकारियों की लापरवाही और सरकारी धन के दुरुपयोग के स्पष्ट संकेत मिले हैं।
जांच में खुलासा हुआ कि विद्यालयों में सामग्री खरीद, आपूर्ति और भुगतान प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया। कई जगहों पर सामग्री की वास्तविक आपूर्ति की पुष्टि नहीं हो सकी। इससे यह संदेह और गहरा गया है कि सरकारी धन का सही तरीके से उपयोग नहीं हुआ। विद्यालयों की प्रबंधन समितियों और प्रधानाध्यापकों ने भी अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई। इससे यह गड़बड़ी संभव हो सकी।
जिला प्रशासन ने इस गड़बड़ी को गंभीर प्रकृति का माना है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रशासन का कहना है कि शिक्षा जैसी महत्वपूर्ण व्यवस्था में इस तरह की अनियमितता अस्वीकार्य है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसी कड़ी में, जिला प्रशासन ने राज्य मुख्यालय को आरोप-पत्र गठन की अनुमति के लिए पूरा प्रतिवेदन भेज दिया है।
सिफारिश की गई है कि संबंधित विद्यालयों के प्रधानाध्यापक, विद्यालय प्रबंधन समिति के पदाधिकारी, पीएमश्री जिला समन्वयक, लेखापाल एवं लेखा पदाधिकारी और जिला शिक्षा पदाधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जाए। राज्य मुख्यालय से मंजूरी मिलते ही औपचारिक विभागीय कार्रवाई शुरू हो जाएगी, जिससे दोषियों को जवाबदेह ठहराया जा सके।
इस पूरे प्रकरण में प्रशासन की त्वरित कार्रवाई से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि सरकारी धन के दुरुपयोग को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, सवाल यह भी उठता है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर अनियमितता कैसे हुई और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे? जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस मामले में और भी विस्तृत जांच हो सकती है। इसमें और अधिक लोगों की भूमिका सामने आ सकती है। फिलहाल, प्रभावित विद्यालयों में स्थिति सामान्य बनाए रखने और छात्रों की पढ़ाई पर पड़ने वाले असर को कम करने के प्रयास जारी हैं। इस बीच स्थानीय लोग और अभिभावक इस मामले में प्रशासन से पारदर्शिता और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। ताकि, सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता और भरोसा बरकरार रह सके।
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