जमशेदपुर : इन दिनों कॉलेजों में यूजी प्रथम सेमेस्टर में नामांकन की भीड़ हर महाविद्यालय में लगी हुई है। इसी क्रम में कुछ छात्र नेताओं का पॉकेट गरम करने मौका भी मिल गया है। मिली जानकारी के अनुसार वर्कर्स कॉलेज में नामांकन के नाम पर एक छात्रा को वहां के छात्र नेता ने ठग लिया है।
छात्र नेता द्वारा स्कैन कर फर्जी नामांकन का मामला आया प्रकाश में
छात्र मधु कुमारी ने इस संबंध में प्रिंसिपल डॉक्टर एसपी महालिक को लिखित शिकायत दी है जिसमें कहा गया है कि बीते 10 अगस्त को वह नामांकन फीस का चालान जमा करने वर्कर्स कॉलेज पहुंची थी। वह लाइन में लगी हुई थी, लेकिन तबियत खराब हो जाने के कारण वह लाइन से बाहर आकर बैठ गई , तभी अभाविप से जुड़े युवराज कुमार नामक एक छात्र नेता ने उससे यह कहते हुए फॉर्म ले लिया की वह काम करा देगा।
इस क्रम में वह लड़की से चालान रशीद और 600 रुपए लेकर उसे घर भेज दिया। उसके बाद लगातार अनु कुमारी ने युवराज को कॉल किया । लेकिन उसने कोई उत्तर नही दिया। उसके बाद लास्ट डेट 25 अगस्त को लड़की कॉलेज आई और कॉलेज में युवराज मिला तो पूछा की मेरा एडमिशन क्यों नही हुआ, तो उसने कहा आपका रशीद में नाम गलत है, वह ठीक करवाना होगा, यह कहते हुए साइबर जाकर उस रशीद का फोटो शॉप के द्वारा एडिट करवाकर जमा कर दिया।
उसके बाद जब काउंटर के कर्मचारी ने जांच किया तो पता चला ऑनलाइन नाम गलत है और छात्र नेता यह फर्जीवाड़ा करके जमा किया है। वही इस संबंध में पूछे जाने पर अभाविप की ओर से कहा गया कि जिस छात्र की बात की जा रही है वह उसका सदस्य नहीं है संगठन को बदनाम करने के लिए कुछ लोग झूठी अफवाह फैला रहे हैं।
साक्षी के रूप में छात्र ने प्रिंसिपल को फोन रिकॉर्डिंग भी दिया :
छात्र मधु कुमारी ने इस फर्जी वाले के संबंध में सबूत के रूप में फोन कॉल की रिकॉर्डिंग भी कॉलेज प्रशासन को दिया है।इससे यह भी पता चला की इस छात्र नेता ने पहले भी ऐसा फर्जीवाड़ा करके पेपर जमा किया है। वही कॉलेज प्रशासन का कहना है कि वह जांच कर इस मामले में उचित कार्रवाई करेगा।
25 अगस्त को भी पकड़ा गया था फर्जीवाड़ा :
वर्कर्स कॉलेज में नामांकन से संबंधित फर्जीवाड़ा 25 अगस्त को भी पकड़ा गया था। तब एक छात्र नेता के द्वारा एक फर्जी प्रमाण पत्र लेकर इंटर मीडिएट में नामांकन कराने का प्रयास किया गया था। इस मामले को भी एडमिशन सेल ने पकड़ा था।
विदित होगी जैसे ही एडमिशन की प्रक्रिया कॉलेज में शुरू होती है एडमिशन करने वाले दलाल सक्रिय हो जाते हैं वह खुद को अलग-अलग छात्र संगठनों का सदस्य बताकर बच्चों को भरोसा दिलाते हैं कि वह एडमिशन करा देंगे उनके जाल में फंस कर छात्र पैसे व अपना डॉक्यूमेंट तक दे देते हैं लेकिन बाद में पता चलता है कि उनका एडमिशन हुआ ही नहीं है और पैसे दलाल खा गए।
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