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उत्तर प्रदेश के शहरों को कचरा मुक्त बनाने के लिए बड़ी पहल, हर निकाय में स्वमूल्यांकन होगा

by Rakesh Pandey
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और कचरा मुक्त शहर बनाने के इरादे के तहत प्रत्येक नगरीय निकायों में स्वमूल्यांकन की व्यवस्था लागू करने का निर्णय लिया है। अधिकारियों ने बताया कि राज्य के शहरों को कचरा मुक्त बनाने के लिए प्रत्येक नगरीय निकाय में 30 अगस्त तक स्वमूल्यांकन किया जायेगा और चार सितंबर को इसकी समीक्षा होगी। इस संबंध में नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र भी लिखा है।

कचरा मुक्त शहर बनाना है योजना लाक्ष्य

अप्रैल में राज्य के शहरी निकायों में एक मॉक मूल्यांकन आयोजित किया गया था, जिसमें स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के तहत कचरा मुक्त शहर के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में किये जा रहे प्रयासों को जारी रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया गया था। अभिजात ने बताया कि स्वमूल्यांकन एक समर्पित गूगल फॉर्म के माध्यम से किया जायेगा, जो कचरा मुक्त शहर के मूल्यांकन के प्रत्येक मानक को परिभाषित करेगा। यह फॉर्म नगरीय निकाय द्वारा भरा जायेगा। स्वमूल्यांकन रिपोर्ट को जमा करने की अंतिम तिथि 30 अगस्त की शाम पांच बजे तक है।

चार सितंबर को सभी शहरों की होगी समीक्षा

अभिजात ने सभी अधिशासी अधिकारियों को निर्धारित समय सीमा में इसे सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। उन्होंने बताया कि चार सितंबर को सुबह 11 बजे स्वमूल्यांकन की समीक्षा की जायेगी। अभिजात ने कहा कि स्वमूल्यांकन रिपोर्ट को सही ढंग से पूरा करने और निर्धारित समयसीमा में जमा करने की कार्यवाही अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जायेगी। उन्होंने बताया कि नगर पालिका परिषद/नगर पंचायत के इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार द्वारा स्व-मूल्यांकन प्रणाली शुरू करके एक सक्रिय कदम उठाया गया है।

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खराब प्रदर्शन करने वाले शहरों की होगी पहचान

उन्होंने ने कहा कि इसका उद्देश्य शहरी निकायों को उनकी प्रगति के मूल्यांकन में सक्रिय रूप से भाग लेने और उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए सशक्त बनाना है, जिन पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। अप्रैल में शुरू की गयी मूल्यांकन की यह प्रणाली इस संबंध में सरकार की नीतियों के प्रभावी कार्यान्वयन में मदद करेगी।

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