चेन्नई: तमिलनाडु ने भारत के संवैधानिक इतिहास में एक ऐतिहासिक अध्याय जोड़ते हुए राज्यपाल की मंजूरी के बिना 10 विधेयकों को अधिनियम के रूप में अधिसूचित कर दिया। यह पहली बार हुआ है जब देश में कोई भी राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत किसी अधिनियम को राज्यपाल के हस्ताक्षर के बिना लागू करने में सफल हुई है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अधिनियम घोषित
तमिलनाडु सरकार ने यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा 8 अप्रैल 2025 को दिए गए फैसले के बाद उठाया। कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह निर्णय सुनाया कि राज्य विधानसभा द्वारा दूसरी बार पारित कर राज्यपाल को भेजे गए विधेयक स्वतः अधिनियमित माने जाएंगे। इसके बाद 11 अप्रैल 2025 को तमिलनाडु सरकार ने इन सभी विधेयकों को अपने आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित कर दिया।
विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति का अधिकार अब सरकार के पास इन अधिनियमों के लागू होने से राज्य के सरकारी विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति, सेवा शर्तें, और हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह से राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आ गई है।
अब कुलपतियों को तमिलनाडु सरकार द्वारा निर्धारित योग्यता और अनुभव के आधार पर नियुक्त किया जाएगा और राज्य के मुख्यमंत्री विश्वविद्यालयों के चांसलर होंगे — जो पहले राज्यपाल की भूमिका होती थी।
कुलपति को हटाने की प्रक्रिया क्या होगी?
नए कानून के तहत कुलपति को उनके पद से तभी हटाया जा सकेगा जब वे—अधिनियम के प्रावधानों के पालन से जानबूझकर चूक करें, शक्तियों का दुरुपयोग करें।
इस प्रक्रिया में:
एक जांच अधिकारी नियुक्त किया जाएगा जो या तो उच्च न्यायालय का न्यायाधीश होगा या मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी।
जांच के दौरान कुलपति को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाएगा।
जांच रिपोर्ट के आधार पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
अधिसूचित प्रमुख अधिनियम:
तमिलनाडु विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) अधिनियम, 2022
तमिलनाडु डॉ. अंबेडकर विधि विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2022
तमिलनाडु डॉ. एमजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी (संशोधन) अधिनियम, 2022
तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2022
तमिल विश्वविद्यालय (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2022
तमिलनाडु मत्स्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2023
तमिलनाडु पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2023
तमिलनाडु विश्वविद्यालय कानून (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2022
तमिलनाडु मत्स्य विश्वविद्यालय (संशोधन) अधिनियम, 2020 – विश्वविद्यालय का नाम डॉ. जे. जयललिता मत्स्य विश्वविद्यालय किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कानूनी मायने
यह फैसला भारत के संघीय ढांचे और राज्यपाल की संवैधानिक भूमिका को लेकर एक मील का पत्थर माना जा रहा है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जब कोई विधेयक दोबारा पारित कर राज्यपाल को भेजा जाता है, और यदि वह उसे रोककर रखते हैं, तो वह विधेयक स्वतः अधिनियमित माना जाएगा।
डीएमके की प्रतिक्रिया
डीएमके सांसद पी. विल्सन ने इसे “ऐतिहासिक क्षण” बताते हुए कहा, ‘इतिहास इसलिए बना है क्योंकि ये भारत में पहले ऐसे अधिनियम हैं जो राज्यपाल या राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बिना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बल पर प्रभावी हुए हैं। हमारे विश्वविद्यालय अब सरकार के नेतृत्व में एक नई दिशा में आगे बढ़ेंगे।’