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चीन से तल्खी के बाद 50 अमेरिकी कंपनियां समेट रहीं अपना बिजनेस, जानें भारत के लिए क्यों है फायदेमंद

सर्वेक्षण में ज्यादातर अमेरिकी कंपनियों ने माना है कि भारत में निवेश के लिए अब अनुकूल परिस्थितियां बन रही हैं। चीन से अमेरिकी कंपनियों ने अपना कारोबार समेटना शुरू कर दिया है और भारत में निवेश की रुचि दिखा रही हैं।

by Rakesh Pandey
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सेंट्रल डेस्क: चीन और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव और चीन के बदलते कारोबारी माहौल ने 50 अमेरिकी कंपनियों को चीन से अपना कारोबार समेटने पर मजबूर कर दिया है। वहीं इन कंपनियों का कुल निवेश लगभग 12 लाख करोड़ रुपए का है। इनमें से 15 कंपनियों ने भारत में निवेश करने की योजना बनाई है। यह खुलासा अमेरिकी चैंबर ऑफ कॉमर्स की हालिया रिपोर्ट में हुआ है, जिसमें 306 अमेरिकी कंपनियों का सर्वेक्षण किया गया था।

भारत बन रहा बेहतर ऑप्शन
भारत निवेशकों की नई पसंद रिपोर्ट के अनुसार, भारत अब वैश्विक निवेशकों के लिए एक बेहतरीन ऑप्शन बन गया है, जिससे वह मेक्सिको, अमेरिका और यूरोप जैसे प्रमुख स्थानों को पीछे छोड़ रहा है। हालाकि पिछले साल भारत को निवेश के लिए 5वां स्थान दिया गया था, लेकिन इस साल यह दूसरे स्थान पर आ गया है।

निवेश का माहौल बदलने से नाखुश हैं कंपनियां
वहीं चीन की सख्त नीतियों से नाखुश विदेशी कंपनियां कोरोना महामारी के बाद से चीन के निवेश माहौल में बड़े बदलाव हुए हैं, जिससे विदेशी कंपनियां संतुष्ट नहीं हैं। शी जिनपिंग सरकार की बेरोजगारी और उम्रदराज होती जनसंख्या जैसी समस्याओं से निपटने के लिए बनाई गई नई नीतियों ने निवेशकों के बीच अगण्‍यता पैदा कर दी है।

चीन में बढ़ गई है बेरोजगारी
साथ ही बता दें कि चीन में 16 से 24 साल के युवाओं में बेरोजगारी दर 21.3% तक पहुंच गई है, जो पिछले 30 सालों में सबसे ज्यादा है। साथ ही, उम्रदराज होती आबादी भी उत्पादन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। इन चुनौतियों के चलते चीन की आर्थिक स्थिरता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, जिससे विदेशी कंपनियां वहां से अपना कारोबार हटाने पर विचार कर रही हैं।

कंपनियों की नजरें भारत के विशाल बाजार पर
वहीं दूसरी तरफ भारत में निवेश माहौल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का विशाल बाजार और बेहतर निवेश माहौल विदेशी कंपनियों को आकर्षित कर रहा है। सर्वेक्षण की गई 306 अमेरिकी कंपनियों में से ज्यादातर ने माना कि भारत में निवेश के लिए अब अनुकूल परिस्थितियां बन रही हैं, जो उन्हें अपनी रणनीतियों में बदलाव करने के लिए प्रेरित कर रही हैं। इसका परिणाम ये है की चीन से अमेरिकी कंपनियों ने अपना कारोबार समेटने शुरू कर दिया है और भारत में निवेश की बढ़ती रुचि इस बात का संकेत है कि भारत वैश्विक निवेश के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान बनता जा रहा है।

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