प्रयागराज : महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं और इस बार का महाकुंभ न केवल धार्मिक आस्था का एक बड़ा मेला होगा, बल्कि यह नारी सशक्तीकरण का भी अहम जरिया बनेगा। प्रशासन का अनुमान है कि जनवरी 2025 में होने वाले इस महाकुंभ में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है। इस भारी संख्या को देखते हुए कई विशेष व्यवस्थाएं की जा रही हैं, जिनमें प्रमुख है श्रद्धालुओं को गंगाजल की उपलब्धता और महिला सशक्तीकरण का प्रयास।
गंगाजल की मांग को पूरा करने की नई व्यवस्था
प्रयागराज का त्रिवेणी संगम, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम होता है। श्रद्धालुओं के लिए एक खास धार्मिक स्थल है। यहां पर स्नान करने आने वाले लाखों लोग गंगाजल अपने साथ ले जाना पसंद करते हैं। माघ मेला, कुंभ और महाकुंभ जैसे आयोजनों के दौरान संगम का पवित्र जल श्रद्धालुओं के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। हालांकि, महाकुंभ के दौरान भारी भीड़ और व्यवधानों के कारण लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी जल को अपने साथ नहीं ले पाते।
इसी समस्या का समाधान करते हुए इस बार महाकुंभ के दौरान प्रयागराज के सभी बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर श्रद्धालुओं को गंगाजल उपलब्ध कराया जाएगा। इस काम की जिम्मेदारी महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को दी गई है, जो गंगाजल को विभिन्न पैकिंग में बोतल और कलशों में श्रद्धालुओं को मुहैया कराएंगी। डिप्टी कमिश्नर एनआरएलएम, राजीव कुमार सिंह के अनुसार, शासन के निर्देश पर यह विशेष व्यवस्था की जा रही है।
1000 महिलाओं की टीम करेगी गंगाजल वितरण
महाकुंभ से पहले स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को गंगाजल वितरण का कार्य सौंपा जाएगा। इन महिलाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों और धार्मिक स्थलों पर गंगाजल बेच सकें। राष्ट्रीय आजीविका मिशन (NRLM) के तहत 1000 से अधिक महिलाओं को इस कार्य के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से यह स्टार्टअप शुरू किया जा रहा है। यदि यह प्रयास सफल होता है, तो आगे चलकर इनकी संख्या और बढ़ाई जाएगी, जिससे महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त हो सकेंगी।
गंगाजल की पैकिंग में होगी इको-फ्रेंडली सामग्री
गंगाजल को श्रद्धालुओं तक पहुंचाने के लिए एक विशेष व्यवस्था की गई है। इसके लिए मुंज (eco-friendly grass) से बनी डिजाइनर टोकरियों का इस्तेमाल किया जाएगा, जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल होंगी, बल्कि आकर्षक भी होंगी। प्रयागराज के महेवा गांव की महिलाएं मूंज (एक घास) से यह डिजाइनर टोकरियां बना रही हैं, जो गंगाजल को सुरक्षित और सुंदर तरीके से प्रस्तुत करेंगी। इस पैकिंग में गंगाजल को एक लीटर, आधे लीटर और 250 मिलीलीटर की बोतलों में भरकर उपलब्ध कराया जाएगा। यह कदम स्थानीय ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) मूंज उत्पाद की ब्रांडिंग भी करेगा, जिससे प्रयागराज की स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।
नारी सशक्तीकरण और आर्थिक आत्मनिर्भरता
महाकुंभ 2025 के दौरान महिलाओं को केवल गंगाजल वितरण की जिम्मेदारी ही नहीं सौंपी जा रही है, बल्कि यह उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी प्रदान कर रहा है। स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं इस कार्य के माध्यम से न केवल आर्थिक रूप से सशक्त होंगी, बल्कि उनके प्रयासों से समाज में महिलाओं की भूमिका भी मजबूत होगी। यह कदम न केवल उनकी सामाजिक स्थिति को सुधारने में मदद करेगा, बल्कि उन्हें अपने व्यवसाय को बढ़ाने का एक मंच भी प्रदान करेगा।
महाकुंभ 2025 में महिलाओं का यह योगदान उन्हें समाज में एक नई पहचान दिलाएगा। इस विशेष व्यवस्था के माध्यम से न केवल श्रद्धालुओं को आसानी से गंगाजल मिलेगा बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से भी मजबूती मिलेगी, जिससे उनका आत्मविश्वास और उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार होगा।
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