सेंट्रल डेस्क : नई दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता में रविवार 16 मार्च को वैश्विक खुफिया और सुरक्षा प्रमुखों का चौथा सम्मेलन आयोजित किया गया। इस महत्वपूर्ण बैठक में आतंकवाद विरोधी प्रयास (Counterterrorism), खुफिया जानकारी साझा करने की प्रणाली (Intelligence-sharing mechanisms), आप्रवासन और प्रत्यर्पण (Immigration and Extradition), इंडो-पैसिफिक सहयोग (Indo-Pacific Cooperation), वैश्विक सुरक्षा (Global Security) और अंतरराष्ट्रीय अपराध (Transnational Crimes) जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।
28 से अधिक देशों के शीर्ष सुरक्षा अधिकारी शामिल
इस बैठक में 28 से अधिक देशों के खुफिया प्रमुखों ने भाग लिया। यह सम्मेलन हर साल रायसीना संवाद (Raisina Dialogue) से एक दिन पहले आयोजित किया जाता है, जो इस बार 17 से 19 मार्च तक होने जा रहा है। इस वर्ष यह बैठक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों और उनके वैश्विक प्रभावों की पृष्ठभूमि में आयोजित की गई। भारत के लिए प्रमुख एजेंडा भारतीय अधिकारियों के अनुसार, अंतरराष्ट्रीय अपराधों और आतंकवाद विरोधी खुफिया जानकारी साझा करना भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा रहा। इसके अलावा, नशीले पदार्थों की तस्करी (Narcotics), आतंकवाद के वित्तपोषण (Terror Funding) और प्रत्यर्पण जैसे विषयों पर भी गहन विचार-विमर्श हुआ।
पांच आईज (Five Eyes) देशों की भागीदारी
ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, न्यूज़ीलैंड, यूनाइटेड किंगडम और अमेरिका के खुफिया प्रमुखों ने इस बैठक में भाग लिया। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका कि इन देशों के प्रमुखों की अलग से कोई बैठक अजीत डोभाल के साथ हुई या नहीं। भारत-कनाडा संबंधों में संभावित सुधार इस बैठक में कनाडा के खुफिया प्रमुख डेनियल रोजर्स की भागीदारी विशेष रूप से महत्वपूर्ण रही, क्योंकि हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड के कारण भारत-कनाडा संबंधों में तनाव आ गया था। इस बैठक के माध्यम से भारत और कनाडा के बीच रिश्तों को फिर से सामान्य करने की संभावना जताई जा रही है।
सम्मेलन का महत्व और आयोजन
यह सम्मेलन भारत की बाह्य खुफिया एजेंसी (R&AW) और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) द्वारा आयोजित किया जाता है। इसका प्रारूप म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (Munich Security Conference) और शांगरी-ला संवाद (Shangri-La Dialogue, Singapore) की तर्ज पर तैयार किया गया है। इसकी शुरुआत अप्रैल 2022 में रायसीना संवाद से एक दिन पहले हुई थी, और तब से यह एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मंच बन गया है।

