नई दिल्ली: कनाडा की भारतीय मूल की नेता अनीता आनंद ने प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी से बाहर होने का ऐलान किया है। उन्होंने रविवार को यह स्पष्ट किया कि वह आगामी चुनाव में ओंटारियो के ऑकविले से सांसद के रूप में अपनी सीट के लिए फिर से चुनाव नहीं लड़ेंगी। अनीता आनंद का यह बयान उस समय आया है जब कनाडा के वर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पद छोड़ने की पेशकश की थी। उनके इस फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया कि वह प्रधानमंत्री बनने की रेस से बाहर हो गई हैं, जिससे इस पद के लिए अन्य नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ने की संभावना है।
अनीता आनंद ने ट्रूडो को दिया धन्यवाद
अपने फैसले को सार्वजनिक करते हुए अनीता आनंद ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वह ओंटारियो के ऑकविले से आगामी चुनाव नहीं लड़ेंगी और इसी वजह से प्रधानमंत्री पद की रेस से बाहर हो रही हैं। उन्होंने जस्टिन ट्रूडो का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने उन्हें लिबरल पार्टी में शामिल किया और कई महत्वपूर्ण कैबिनेट पदों की जिम्मेदारी सौंपी। इसके अलावा, उन्होंने उन लोगों का भी धन्यवाद किया जिन्होंने उन्हें ऑकविले में प्रतिनिधि के रूप में चुना और उनका समर्थन किया।
अनीता ने कहा- करती रहेंगी जनता की सेवा
अनीता आनंद ने अपने बयान में यह भी कहा कि वह अगले चुनाव तक एक सांसद के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करती रहेंगी और जनता की सेवा करती रहेंगी। उन्होंने इस बात को स्पष्ट किया कि वह अपना कार्य पूरी ईमानदारी और समर्पण के साथ करती रहेंगी।
अनीता आनंद का राजनीतिक सफर
57 वर्षीय अनीता आनंद, जो कि तमिल पिता और पंजाबी मां की संतान हैं, ने 2019 में राजनीति में कदम रखा और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार में कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। वह सार्वजनिक सेवा, खरीद और रक्षा जैसे प्रमुख विभागों में काम कर चुकी हैं। 2024 में उन्हें ट्रेजरी बोर्ड का अध्यक्ष भी नियुक्त किया गया।
राजनीति में आने से पहले अनीता आनंद एक प्रसिद्ध कानून विशेषज्ञ थीं और कई विश्वविद्यालयों में अध्यापन कार्य भी किया था। उन्होंने येल विश्वविद्यालय और टोरंटो विश्वविद्यालय में कानून की प्रोफेसर के तौर पर कार्य किया था।
पीएम पद की रेस में अन्य नेता
जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने की पेशकश के बाद, अनीता आनंद के अलावा कुछ और नेताओं के नाम सामने आए थे जो प्रधानमंत्री पद की रेस में थे। इनमें क्रिस्टिया फ्रीलैंड, डोमिनिक लेब्लांक, मार्क जोसेफ और मेलानी जोली प्रमुख थे। हालांकि, अब अनीता आनंद के साथ-साथ मेलानी जोली, डोमिनिक लेब्लांक ने भी पीएम पद की दावेदारी से खुद को बाहर कर लिया है।
अब देखना यह होगा कि जस्टिन ट्रूडो का उत्तराधिकारी कौन बनेगा। पार्टी के भीतर यह सवाल चर्चा का विषय बन चुका है, और आने वाले दिनों में इस बारे में और अधिक स्पष्टता मिलने की संभावना है।
कनाडा में भारतीय मूल के नेताओं का बढ़ता प्रभाव
अनीता आनंद के अलावा कनाडा में भारतीय मूल के नेताओं की उपस्थिति और प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि कनाडा में विविधता और समावेशी राजनीति को बढ़ावा दिया जा रहा है। भारतीय मूल के नेताओं की बढ़ती भागीदारी से कनाडा की राजनीति में एक नई दिशा देखने को मिल सकती है।
कड़ी मेहनत से हासिल किया मुकाम
अनीता आनंद का राजनीति में यह सफर एक प्रेरणा है, जो यह दिखाता है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से किसी भी पद तक पहुंचा जा सकता है। हालांकि, अब पीएम पद की रेस में उनका नाम नहीं है, लेकिन वह एक प्रभावशाली नेता के रूप में राजनीति में अपनी पहचान बनाए रखेंगी।