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Artificial Intelligence: अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से होगा इलाज, समय पर हो जाएगी बीमारी की पहचान

by Rakesh Pandey
Artificial Intelligence
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जमशेदपुर/Artificial Intelligence: अब बीमारी का इलाज भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से होगा। इससे न सिर्फ इलाज करना आसान हो जाएगा, बल्कि बीमारी की पहचान भी समय पर हो सकेगी। इससे कम समय में ज्यादा से ज्यादा मरीज की जान बच सकेगी। ये बातें शनिवार को आयोजन समिति के चेयरमेन सह मधुमेह रोग विशेषज्ञ डॉ. एके विरमानी ने कहीं।

नेशनल हाइवे स्थित होटल वेव इंटरनेशनल में क्लीनिकल कार्डियो डायबिटीज सोसाइटी ऑफ इंडिया, बिहार-झारखंड द्वारा आयोजित तीन दिवसीय सेमिनार के दूसरे दिन डॉ. विरमानी ने हृदय रोग के मरीजों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका पर विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में चिकित्सा जगत में एआई की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

एआई के माध्यम से बीमारी से संबंधित तमाम चीजों का पता लगाया जा सकेगा। फिलहाल एआई में सटीक चिकित्सा, नैदानिक भविष्यवाणी, हृदय इमेजिंग विश्लेषण और बुद्धिमान रोबोट शामिल हैं। ऐसे में हृदय संबंधी चिकित्सा में एआई के उपयोग की आशावादी संभावनाएं हैं। इस अवसर पर आयोजन समिति के चेयरपर्सन डॉ. उमेश खां, डॉ. एके पाल, डॉ. निर्मल कुमार, डॉ. आरएल अग्रवाल, डॉ. रतन कुमार, डॉ. एनसी सिंघल और डॉ. निवेदिता मिश्रा भी उपस्थित थीं।

Artificial Intelligence: स्कैनिंग व डाटा होगा महत्वपूर्ण

डॉ. एके विरमानी ने कहा कि एआई में स्कैनिंग व मरीज से संबंधित पर्याप्त डाटा उपलब्ध होगा, जो डॉक्टरों के इलाज और मरीजों की जान बचाने में काफी मददगार साबित होगा। एआई के स्कैनिंग का विश्लेषण उपलब्ध होने से भविष्य में सीटी स्कैन, एमआरआई और एक्स-रे जैसे पारंपरिक जांच तरीकों की जगह भी ले सकता है। वहीं,

एआई की मदद से हृदय रोग संबंधी परीक्षणों के एकदम नए और कम कष्टदायक तरीके विकसित होने की उम्मीद है। इससे न केवल काफी पहले ही बीमारी का पता लग सकता है, बल्कि यह कम या ज्यादा खतरे के लिहाज से मरीजों के उचित इलाज में भी मददगार है। वहीं, इसके जरिए व्यापक जांच के बिना भी हृदय रोग से जुड़े खतरों के बारे में पता लगाया जा सकेगा और इससे मरीजों में रोग की जल्द पहचान करना संभव होगा।

Artificial Intelligence: चिकित्सकों के सामने चुनौती भी होगी

डॉ. एके विरमानी ने कहा कि एआई के फायदे हैं, तो इसके नुकसान भी हैं। ऐसे में इस तकनीक को आने के बाद चिकित्सकों के सामने चुनौती भी होगी। डॉ. विरमानी ने कहा कि अभी यह तकनीक विकसित हो रही है। धीरे-धीरे उसे अपडेट किया जा रहा है। ऐसे में कई तरह की परेशानी आएगी। मशीन खराब भी हो सकती है, लेकिन इसका असर

मरीजों पर नहीं पड़े, यह चिकित्सकों के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी। उन्होंने चिकित्सकों को सुझाव दिया कि एआई को अपने ऊपर कभी हावी होने नहीं दें। अन्यथा, इससे नुकसान भी हो सकता है।

Artificial Intelligence: ज्यादा तापमान में खराब हो जाता इंसुलिन : डॉ. सतीश

डॉ. सतीश प्रसाद ने मधुमेह के मरीजों को सतर्क करते हुए कहा कि अगर आप इंसुलिन लेते हैं तो विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी गर्मी अधिक पड़ रही है। ऐसे में इंसुलिन को अलग-अलग तापमान में रखा जाता है। अगर, इंसुलिन को रखने में निर्धारित तापमान का पालन नहीं किया गया, तो उसका प्रभाव कम होने लगता है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह के मामले अधिक देखने को मिलते हैं।

Artificial Intelligence: नए मरीज को इंसुलिन नहीं लेना चाहिए : डॉ. उमेश खां

आयोजन समिति के चेयरपर्सन डॉ. उमेश खां ने कहा कि मधुमेह मरीजों के इलाज में कई बातों पर ध्यान देने की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि नए मरीज को दवा के माध्यम से मधुमेह नियंत्रित किया जाता है। वहीं, तीन परिस्थिति में इंसुलिन का उपयोग किया जाता है। जब मरीज का ब्लड शुगर 250 से अधिक हो, मरीज बहुत कमजोर है और तीसरा मरीज को इंफेक्शन या फिर ऑपरेशन करना हो तो उन्हें इंसुलिन दिया जाता है।

 

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