जोधपुर : नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में उम्रभर की सजा काट रहे आसाराम को राजस्थान हाई कोर्ट से 30 दिन की पैरोल मिल गई है। यह पैरोल उसे इलाज के लिए दी गई है, और अब वह जोधपुर में स्थित एक निजी आयुर्वेद अस्पताल में इलाज करा सकेगा। यह आसाराम को दी गई दूसरी पैरोल है, जो उसे स्वास्थ्य कारणों से मिली है।
आसाराम, जो 2013 से जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद है, को इस साल अगस्त में भी इलाज के लिए 7 दिन की पैरोल मिली थी। उस दौरान उसने महाराष्ट्र के माधोबाग आयुर्वेद अस्पताल में इलाज कराया था। इलाज के दौरान उसकी स्थिति में सुधार न होने के कारण पैरोल को 5 और दिनों के लिए बढ़ा दिया गया था, लेकिन फिर उसे वापस जोधपुर जेल लौटना पड़ा। इसके बाद, आसाराम के वकील ने राजस्थान हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर 30 दिन की पैरोल की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने 7 नवंबर को मंजूर कर लिया।
हाई कोर्ट का आदेश
राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर बेंच ने आसाराम को 30 दिन की पैरोल देते हुए उसे एक निजी आयुर्वेद अस्पताल में इलाज कराने की अनुमति दी है। कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश, जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत माथुर की खंडपीठ ने इस आदेश पर सुनवाई की थी। अदालत ने आसाराम के स्वास्थ्य की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए उसे 30 दिन की पैरोल दी, जिसके दौरान वह आयुर्वेद पद्धति से अपना इलाज कराएगा।
आसाराम को इससे पहले कभी इतनी लंबी पैरोल नहीं मिली थी। यह उसकी 11 साल की सजा के दौरान मिली दूसरी पैरोल है। इस बार उसे इलाज के लिए यह विशेष छूट दी गई है, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पैरोल की अवधि सिर्फ 30 दिन होगी। अदालत ने उसकी ओर से लंबी पैरोल की मांग को अस्वीकार करते हुए केवल 30 दिनों की पैरोल को मंजूरी दी, जबकि सरकारी अधिवक्ता दीपक चौधरी ने यह तर्क रखा था कि पैरोल सीमित अवधि के लिए ही दी जाए।
स्वास्थ्य की गंभीर स्थिति
आसाराम की उम्र और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, वह लगातार मेडिकल देखरेख में है। हाल ही में, 3 दिन पहले ही उसे जोधपुर स्थित एम्स अस्पताल में चिकित्सीय जांच के लिए भेजा गया था। जांच में उसकी तबीयत को लेकर कुछ चिंताएं व्यक्त की गई थीं। इसके बाद, आसाराम के वकील ने यह मांग की थी कि उसे तब तक पैरोल मिलती रहे, जब तक उसे इलाज की आवश्यकता है। हालांकि, सरकारी पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई और कोर्ट से केवल 30 दिन की पैरोल की मांग की।
अदालत की कार्रवाई
आसाराम को जोधपुर सेंट्रल जेल से पुलिस कस्टडी में जेल से बाहर निकाला गया और उसे आयुर्वेद अस्पताल में भेजा गया। यह इलाज एक निजी अस्पताल में होगा और इलाज का पूरा खर्च आसाराम को ही उठाना होगा। अदालत ने इस संबंध में आदेश देते हुए यह भी कहा कि आसाराम को इलाज के दौरान पूरी निगरानी में रखा जाएगा।
कानूनी प्रक्रिया
आसाराम को 2013 में नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जोधपुर की निचली अदालत ने 2018 में उसे दोषी ठहराया और उम्रभर की सजा सुनाई। इसके बाद से वह जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद है। उसके खिलाफ यह मामला उस पर गंभीर आरोपों को लेकर चल रहा है और इसी कारण उसकी पैरोल की हर बार कड़ी निगरानी की जाती है।
इस फैसले के बाद यह सवाल भी उठते हैं कि क्या आसाराम का इलाज उसके स्वास्थ्य के लिहाज से वाकई जरूरी है या यह केवल उसे राहत देने का एक तरीका है। फिर भी, राजस्थान हाई कोर्ट ने इस मामले में मेडिकल आधार पर फैसला लिया है, और उसे 30 दिनों की पैरोल दी है, जो उसकी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए न्यायोचित प्रतीत होती है।
इस प्रकार, आसाराम को 30 दिन की पैरोल मिलना एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, जो उसकी सजा और स्वास्थ्य को लेकर चल रहे कानूनी और सामाजिक विवादों को एक नया मोड़ देता है।
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