खेल डेस्क, Asian Games 2023: चीन के हांगझोउ में चल रहे 19वें एशियाई खेलों में, भारतीय खिलाड़ियों ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से दिल जीत रहे हैं। भारत के अनुभवी टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना ने 43 वर्ष की उम्र में एशियाई खेलों में इतिहास रच दिया है। उन्होंने ऋतुजा भोसले के साथ मिलकर मिश्रित युगल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।
शनिवार को भारतीय टेनिस खिलाड़ी रोहन बोपन्ना और ऋतुजा भोसले की जोड़ी ने टेनिस मिक्स्ड डबल्स इवेंट में चीनी ताईपे की जोड़ी को हराकर फाइनल में गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया। यह सफलता भारत के लिए गौरवान्वित और बहुत महत्वपूर्ण है। इससे पहले पुरुष युगल में रामकुमार रामनाथन और साकेत माइनेनी की जोड़ी ने रजत पदक जीता था।
टाई ब्रेकर में हासिल की जीत
भारत के रोहन बोपन्ना और ऋतुजा भोसले ने फाइनल में चीनी-ताइपे की जोड़ी एन शुओ लियांग और सुंग हाओ हुआंग को हराया और गोल्ड मेडल अपने नाम किया। इस महत्वपूर्ण टेनिस मैच में भारतीय जोड़ी ने ये प्रतिस्पर्धा 2-6, 6-3, (10-4) स्कोर से जीती।
चीनी ताइपे की जोड़ी ने भारतीय जोड़ी को जमकर टक्कर दी। भारतीय जोड़ी को टक्कर में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन टाई ब्रेकर में भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी शानदार प्रदर्शनी से जीत हासिल की।
पहले रही धीमी शुरूआत, फिर पकड़ी रफ्तार
बता दें की मुकाबले के शुरुआत में भारतीय टीम धीमी नजर आ रही थी। लेकिन जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ा, भारतीय टीम के जीतने की उम्मीद बढ़ने लगी।
भारतीय जोड़ी का मैच की शुरुआत प्रदर्शन ज्यादा खास नहीं था, और इसके कारण वे 2-6 सेट से पीछे थे। हालांकि, इसके बाद भारतीय खिलाड़ियों ने एक शानदार वापसी करते हुए टाई ब्रेक में 10-4 से मुकाबला अपने पाले में कर स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
रोहन बोपन्ना का दूसरा स्वर्ण पदक
रोहन बोपन्ना अब दो बार के एशियाई खेल चैंपियन बन गए हैं। उन्होंने पहले भी 2018 में दिविज शरण के साथ पुरुष युगल टेनिस में गोल्ड मेडल जीता था, लेकिन अब वे एशियाई खेलों में एक और बार स्वर्ण पदक जीत कर चैंपियन बने हैं।
43 साल की आयु में इस प्रकार के उच्च स्तर के खेल में सफलता प्राप्त करना अद्वितीय है और उन्होंने अपने अनुभव का लाभ ऋतुजा भोसले को भी प्रदान किया है। इस सफलता के साथ, वे भारत के लिए गर्व के साथ खेल रहे हैं और अपने योग्यता और संघर्ष का महत्वपूर्ण संदेश दे रहे हैं।
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जल्द ही संन्यास लेंगे रोहन बोपन्ना?
उम्र को केवल एक नंबर साबित करने वाले रोहन बोपन्ना की आज हर कोई प्रशंसा कर रहा है। लेकिन बता दें कि रोहन बोपन्ना का यह प्रशंसनीय उपलब्धि उनके करियर के आखिरी एशियाई खेलों में हो सकता है, और इसे उनके विशेष योगदान के रूप में याद किया जा सकता है।
बोपन्ना ने हाल ही में अपना आखिरी डेविस कप भी खेला था और तभी से ये कयास लगाए जाने लगे हैं कि वह जल्द ही संन्यास ले सकते हैं। उनकी ब्रिलियंट प्रदर्शनी से भारतीय टेनिस के अगले पीढ़ियों को प्रेरणा जरूर मिलेगी।