देवघर: श्रावणी मेले के दौरान देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में शिवभक्तों की अपार भीड़ उमड़ रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करने से पहले एक परंपरा निभाना अनिवार्य माना गया है? यहां श्रद्धालु पहले ‘रावण के बनाए’ शिवगंगा कुंड में डुबकी लगाते हैं, तभी पूजा को पूर्ण माना जाता है।
Baba Dham: क्यों जरूरी है शिवगंगा कुंड में स्नान?
बाबाधाम आने वाले श्रद्धालुओं को सबसे पहले शिवगंगा कुंड में स्नान करना चाहिए। यह महज परंपरा नहीं, बल्कि धार्मिक अनिवार्यता है। शिव पुराण और स्थानीय जनमान्यता के अनुसार शिवगंगा कुंड में स्नान किए बिना किया गया जलाभिषेक अधूरा माना जाता है।
पौराणिक कथा: रावण ने की थी कुंड की उत्पत्ति
मान्यता है कि जब लंका पति रावण कैलाश से शिवलिंग लेकर लंका जा रहे थे, तब रास्ते में उन्हें लघुशंका लगी। शुद्धि के लिए जल की आवश्यकता हुई, पर आस-पास जल नहीं मिला। तब रावण ने अपने तपबल से जमीन से जल निकाला, यही आज का शिवगंगा कुंड है। रावण ने इसी जल में स्नान कर शिवलिंग का अभिषेक किया था। इसलिए यह कुंड शिवभक्तों के लिए पवित्र और पूजनीय है।
शिवगंगा का जल: रोग नाशक और पुण्यदायी
अश्विनी कुमार, जो देवताओं के वैद्य कहे जाते हैं, ने भी इसी कुंड में स्नान किया था। उन्होंने कहा था कि जो भी इस पवित्र कुंड में डुबकी लगाएगा, उसके सारे शारीरिक और मानसिक रोग समाप्त हो जाएंगे।
बिना स्नान अधूरी मानी जाती है भोलेनाथ की पूजा
श्रावण मास में बाबा धाम आने वाले कई श्रद्धालु जल्दबाज़ी में सीधे मंदिर जाकर जल चढ़ा देते हैं, जबकि स्थानीय पुरोहित और धर्माचार्य कहते हैं कि यदि शिवगंगा कुंड में स्नान नहीं किया, तो भोलेनाथ की पूजा फलदायी नहीं होती।
Baba Dham: शिवगंगा कुंड कहां है?
बाबाधाम मंदिर से मात्र 100 मीटर की दूरी पर स्थित है शिवगंगा कुंड। प्रशासन द्वारा मेले के दौरान यहां सुरक्षा, स्नान व्यवस्था और सफाई के विशेष इंतज़ाम किए गए हैं।