रांची : झारखंड की जनता ने दूसरी बार हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनने का अवसर दिया था, लेकिन उनके दूसरे कार्यकाल के 100 दिन से अधिक समय गुजर जाने के बावजूद राज्य में ऐसा कोई ठोस कार्य नहीं दिखता, जिससे जनता के जीवन में सार्थक परिवर्तन आया हो। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने न तो कोई दूरदर्शी नीति प्रस्तुत की, न ही राज्य के विकास के लिए कोई गंभीर प्रयास किए। उनके चुनावी वादे अब केवल खोखले भाषणों की गूंज बनकर रह गए हैं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर एकबार फिर से राज्य सरकार को घेरा है।
महिलाएं योजना से वंचित
उन्होंने लिखा है कि चुनाव के दौरान हेमंत सोरेन ने महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण का भरोसा दिलाया था। मंईयां सम्मान योजना की घोषणा की थी। लेकिन जब इस योजना को लागू करने का समय आया तो इसे जटिल नियमों और शर्तों के जाल में इस तरह उलझा दिया गया कि अधिकांश महिलाएं इसका लाभ नहीं उठा सकीं। कागजातों की कमी का बहाना बनाकर उन्हें योजना से वंचित रखा गया, जो केवल प्रशासनिक विफलता नहीं बल्कि महिलाओं के सम्मान और विश्वास के साथ एक धोखा था।
युवाओं को रोजगार चुनावी जुमला
इसी प्रकार युवाओं को रोजगार देने का वादा भी सिर्फ एक चुनावी जुमला साबित हुआ। सरकार ने नियोजन प्रक्रिया को सशक्त और पारदर्शी बनाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। राज्य के लाखों युवा रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं और सरकार के पास उनके लिए कोई ठोस योजना नहीं है। बेरोजगारी की समस्या राज्य में लगातार बढ़ रही है और युवाओं को सरकार से कोई राहत नहीं मिल पा रही है।
राज्य में बढ़ रहा अपराध का ग्राफ
राज्य में अपराध का ग्राफ भी तेजी से बढ़ा है। हत्या, बलात्कार, जमीन कब्जा, रंगदारी और संगठित अपराध की घटनाएं अब सामान्य हो गई हैं। हर जिले से अपराध की खबरें आ रही हैं, लेकिन सरकार इस पर कोई प्रभावी कदम नहीं उठा रही है। भू-माफियाओं और अपराधियों को खुला संरक्षण मिला हुआ है। शासन-प्रशासन पूरी तरह से असंवेदनशील और निष्क्रिय हो चुका है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे राज्य के संसाधनों की लूट को खुलेआम मंजूरी दे दी गई हो।
जनता को किया गुमराह
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नीयत और नीति दोनों के अभाव का प्रमाण बन चुके हैं। उन्होंने केवल सत्ता में बने रहने के लिए जनता को गुमराह किया। जब सत्ता मिली, तो अपने सरोकारों से मुंह मोड़ लिया। झारखंड की जनता ने जिन नेताओं को विश्वास के साथ सत्ता सौंपी थी, उन्होंने उस विश्वास को बार-बार तोड़ा है। आज झारखंड की जनता खुद को उपेक्षित महसूस कर रही है। वह देख रही है कि कैसे सरकार की नाकामी ने राज्य को पिछड़े राज्यों की श्रेणी में ला खड़ा किया है। हालांकि, लोकतंत्र में सबसे बड़ी ताकत जनता के पास होती है, और आने वाले चुनावों में जनता इस विश्वासघात का जवाब देगी।