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Baharagora College seminar on Healing Earth: विद्वानों ने ‘हीलिंग अर्थ, हीलिंग सेल्फ’ पर साझा किए विचार, योग और प्रकृति संरक्षण पर जोर

Baharagora News: भारतीय दर्शन में प्रकृति और मानव के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर विशेष ध्यान दिया गया है, जो आज के समय में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

by Reeta Rai Sagar
Scholars at Baharagora College seminar discussing Healing Earth and Healing Self
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  • बहारागोड़ा कॉलेज में राष्ट्रीय संगोष्ठी : पर्यावरण, स्वास्थ्य और आंतरिक शांति के लिए भारतीय दर्शन के महत्व पर हुई चर्चा

Jamshedpur (Jharkhand) : बहारागोड़ा कॉलेज के दर्शनशास्त्र विभाग ने भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (ICPR), शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से “हीलिंग अर्थ, हीलिंग सेल्फ: पर्यावरण, स्वास्थ्य और आंतरिक शांति” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस संगोष्ठी में पटना विश्वविद्यालय, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (आरा), भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (मुजफ्फरपुर), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, रांची विश्वविद्यालय, कोल्हान विश्वविद्यालय, सरला बिरला विश्वविद्यालय सहित कई प्रतिष्ठित संस्थानों के विद्वानों, शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

संगोष्ठी में योग, पर्यावरण संरक्षण, स्वास्थ्य और आंतरिक शांति जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चा हुई। विभिन्न वक्ताओं ने अपने शोध और विचारों को साझा करते हुए इन विषयों की परस्पर संबद्धता पर जोर दिया।

मुख्य वक्ता के रूप में NIT जमशेदपुर के प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद ने अपने संबोधन में योग को दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाने और पृथ्वी को स्वच्छ रखने के व्यावहारिक उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि स्वस्थ शरीर और मन के लिए पर्यावरण का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।

पटना विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एन.पी. तिवारी ने योग की व्यापक यात्रा पर विस्तार से बात की और इसके आध्यात्मिक तथा सामाजिक लाभों को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि योग न केवल व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखता है, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाता है।

डॉ. आभा झा ने योग के विभिन्न आयामों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की और युवाओं को इसके अनगिनत लाभों से अवगत कराया। उन्होंने युवाओं को योग को अपनी जीवनशैली में शामिल करने के लिए प्रेरित किया।

संगोष्ठी के वेलिडेटरी सत्र में विश्वविद्यालय के प्रोक्टर डॉ. राजेंद्र भारती और डॉ. नरेश कुमार ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सत्र को विषय से जोड़ा और संबोधित किया।

संगोष्ठी के अध्यक्ष डॉ. बालकृष्ण बेहरा ने अपने प्रारंभिक वक्तव्य में भारतीय दर्शन और योग पर आधारित जीवनशैली की वर्तमान समय में प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन में प्रकृति और मानव के बीच सामंजस्य स्थापित करने पर विशेष ध्यान दिया गया है, जो आज के समय में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन सचिव बहारागोड़ा कॉलेज के दर्शनशास्त्र विभाग के डॉ. डुमरेन्द्र राजन थे। कोल्हान विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अंजिला गुप्ता इस संगोष्ठी की मुख्य संरक्षक थीं। यह राष्ट्रीय संगोष्ठी पर्यावरणीय जागरूकता, स्वास्थ्य संवर्धन और मानसिक शांति के क्षेत्र में समाज को जागरूक करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। संगोष्ठी में कॉलेज के विभिन्न विभागों के शिक्षकों के साथ-साथ बड़ी संख्या में छात्रों ने भी भाग लिया।

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