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महाकाल की नगरी उज्जैन में शराबबंदी: काल भैरव मंदिर की पूजा-अर्चना पर असर

महाकाल की नगरी उज्जैन में लागू की गई शराबबंदी ने श्रद्धालुओं के बीच नई चर्चा छेड़ दी है। यह कदम धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है, लेकिन इससे काल भैरव मंदिर की पारंपरिक पूजा-अर्चना प्रभावित हो सकती है।

by Neha Verma
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उज्जैन: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लागू की गई नई शराब नीति के तहत महाकाल की नगरी उज्जैन समेत 19 शहरों में शराबबंदी लागू कर दी गई है। यह फैसला बीते मंगलवार से प्रभावी हो गया है। सरकार के इस कदम से जहां शहरवासियों में खुशी की लहर है, वहीं काल भैरव मंदिर की पूजा-अर्चना से जुड़े श्रद्धालुओं के लिए यह एक नई चुनौती बनकर सामने आई है। दरअसल, काल भैरव को चढ़ाई जाने वाली शराब उनकी पूजा का मुख्य प्रसाद मानी जाती है, और अब इसे प्राप्त करने में भक्तों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

श्रद्धालुओं को होगी परेशानी

मान्यता के अनुसार, महाकाल के दर्शन तब तक अधूरे माने जाते हैं जब तक कि श्रद्धालु काल भैरव के दर्शन नहीं कर लेते। काल भैरव को मदिरा का भोग लगाया जाता है, लेकिन शराबबंदी के कारण अब यह प्रक्रिया कठिन हो गई है। सरकार ने मंदिर प्रबंधन को नियमित पूजा के लिए दो दिन का स्टॉक रखने की अनुमति दी है, जिससे मंदिर में होने वाली पूजा-अर्चना पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालांकि, आम श्रद्धालुओं को अब अपने भोग के लिए शराब उज्जैन नगर निगम सीमा के बाहर से खरीदकर लानी होगी।

शराब बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध, बाहर से लाने की अनुमति

प्रदेश की नई शराब नीति के तहत, उज्जैन नगर निगम क्षेत्र में शराब की खरीद-फरोख्त पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दी गई है। आबकारी विभाग के अनुसार, हालांकि लोग चार बोतल तक शराब राज्य में कहीं भी लेकर जा सकते हैं, लेकिन उज्जैन शहर के भीतर शराब बेचना गैरकानूनी होगा। इससे स्पष्ट है कि जो श्रद्धालु अपने स्तर पर काल भैरव को मदिरा अर्पित करना चाहते हैं, उन्हें यह व्यवस्था स्वयं करनी होगी।

पुलिस और प्रशासन ने बढ़ाई सख्ती

शराबबंदी लागू होने के साथ ही प्रशासन और पुलिस ने भी शहर में सख्ती बढ़ा दी है। शहर में पहले से शराब बेचने वाले दुकानदारों से स्टांप पेपर पर लिखवाया गया है कि वे अब शराब की बिक्री नहीं करेंगे। इसके अलावा, सभी एंट्री पॉइंट्स पर चेकिंग बढ़ा दी गई है, ताकि कोई निर्धारित मात्रा से अधिक शराब लेकर न आ सके। अगर कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

हेल्पलाइन नंबर जारी

शहर में अवैध रूप से शराब की बिक्री रोकने के लिए पुलिस प्रशासन ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। अगर किसी को भी शराब से संबंधित किसी तरह की गड़बड़ी की सूचना मिलती है, तो वह तुरंत पुलिस को सूचित कर सकता है।

क्या है नई शराब नीति?

मध्य प्रदेश सरकार ने शराब के दुष्प्रभावों को ध्यान में रखते हुए यह कड़ा फैसला लिया है। इस नीति के तहत प्रदेश के 19 प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक शहरों में शराबबंदी लागू कर दी गई है। उज्जैन के अलावा ओंकारेश्वर, अमरकंटक, चित्रकूट, मैहर सहित अन्य धार्मिक स्थलों को भी इस सूची में शामिल किया गया है। सरकार का मानना है कि इससे धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनी रहेगी और नशामुक्त समाज की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा सकेगा।

श्रद्धालुओं की राय

शहर में शराबबंदी लागू होने के बाद श्रद्धालुओं की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं और इसे एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं, तो वहीं कुछ श्रद्धालु इसे काल भैरव की पूजा-अर्चना में बाधा के रूप में देख रहे हैं।

सरकार की नई शराब नीति के तहत उज्जैन में शराब की बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित हो चुकी है। हालांकि, मंदिर प्रबंधन को दो दिन का स्टॉक रखने की अनुमति है, लेकिन आम श्रद्धालुओं को अब मदिरा प्रसाद के लिए बाहरी इलाकों से शराब खरीदकर लानी होगी। पुलिस और प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए शहर में अवैध शराब बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए व्यापक कदम उठाए हैं। अब देखना होगा कि आने वाले समय में इस नीति का शहर पर क्या प्रभाव पड़ता है और श्रद्धालु इस नई व्यवस्था के साथ किस तरह सामंजस्य बैठाते हैं।

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