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सावधान: आपके बच्चों को मोबाइल बना रहा बीमार, पहुंच रहे अस्पताल

by Rakesh Pandey
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हेल्थ डेस्क, रांची : अगर आप किसी बच्चे के मां-पिता हैं तो यह खबर आपके लिए जरूरी है। आजकल अधिकांश माता-पिता अपने बच्चे को मोबाइल थमा कर अपने कामों में व्यस्त हो जाते हैं लेकिन उसका परिणाम क्या हो रहा है यह उदाहरण आपके सामने हैं। दरअसल, कम उम्र में ही युवा मनोरोगी के शिकार हो रहे हैं, जिसे लेकर चिकित्सक भी हैरान हैं। अस्पतालों में मनोरोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी हैं।

झारखंड के जाने-माने मनोचिकित्सक डा. दीपक गिरी कहते हैं कि हाल के दिनों में कम उम्र में मनोरोगियों की संख्या बढ़ना चिंताजनक है। अस्पतालों में रोजाना दो से तीन ऐसे मामले पहुंच रहे हैं जो किसी न किसी रूप में मोबाइल से जुड़ा हुआ है। इसमें कम उम्र वालों की संख्या अधिक है। चूंकि, आजकल के बच्चे रोजाना 24 घंटे में से आठ घंटे मोबाइल पर ही बीता रहे हैं। इससे उन्हें मोबाइल की लत लग जा रही है। ऐसे में उनके पढ़ाई-लिखाई से लेकर खाना खाने तक का समय प्रभावित हो रहा है। यह लत आगे चलकर मानसिक बीमारी में तब्दील हो रही है।

स्कूली बच्चे सबसे अधिक प्रभावित

मोबाइल की लत से न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई-लिखाई प्रभावित हो रहा है बल्कि उनका जीवन भी तबाह हो रहा है। अस्पतालों की आंकड़ा देखा जाए तो मोबाइल की लत से सबसे ज्यादा उम्र 17 से 25 वर्ष के बच्चे प्रभावित है। जबकि यह उम्र बच्चों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इसी उम्र में किशोर अपना भविष्य तय करते हैं लेकिन मोबाइल की वजह से उनका कैरियर प्रभावित हो रहा है। कई सर्वे में यह भी निकलकर सामने आई है कि इस दौरान किशोर मोबाइल पर गंदी-गंदी चीज देखते हैं, जिसका असर उनके जीवन पर पड़ता है।

बीमारी बढ़ने की वजह से नाम दिया गया नोमोफोबिया

डॉ. दीपक गिरी कहते हैं कि पहले यह बीमारी नहीं देखने को मिलती थी लेकिन अब जब से बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन गया है तब से मोबाइल लत की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। इसे देखते हुए इस बीमारी को नोमोफोबिया नाम दिया गया।

नोमोफोबिया क्या है

डा. दीपक गिरी कहते हैं कि इस बीमारी में मरीज मोबाइल से बिल्कुल अलग नहीं रह सकता है। कई बार तो मरीज से अगर मोबाइल छीन लिया जाए तो वे जान देने
को तैयार हो जाते हैं। ऐसे में इस बीमारी के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। यह काफी खतरनाक बीमारी है। कम उम्र के लोग ही इसका ज्यादा शिकार होते हैं। ऐसे में अगर आपके घर में भी बच्चे हैं तो उसे मोबाइल की लत से बचाएं। अन्यथा आगे चलकर न सिर्फ बच्चे की परेशानी बढ़ जाएगी बल्कि आपका जीवन भी प्रभावित हो
जाएगा।

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इस तरह की भी परेशानी आ रही सामनें

ज्यादा देर तक स्मार्टफोन का इस्तेमाल करना काफी खतरनाक साबित हो रहा है। इससे न सिर्फ नोमोफोबिया हो रहा है बल्कि इसका असर आपके पूरे शरीर पर पड़ रहा है। जी हां। झारखंड के जाने-माने नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. कुमार साकेत कहते हैं कि ज्यादा देर तक स्मार्टफोन पर समय देने से आंखों में विजन सिंड्रोम की समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं। आपने देखा होगा कि आजकल कम उम्र में ही बच्चों को चश्मा लग जा रहा है। वहीं हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. एके वर्णवाल कहते हैं कि ज्यादा देर तक झुक कर काम करने से उसका असर रीढ़ की हड्डी पर पड़ती है। हाल के दिनों में रीढ़ की हड्डी के मरीज बढ़े हैं। इसमें एक प्रमुख कारण ज्यादा देर तक झुक कर काम करना भी शामिल हैं। इसके अलावा स्किन से जुड़ी समस्याएं, नींद नहीं आने की समस्याएं, मानसिक तनाव, आत्मविश्वास में कमी सहित अन्य शामिल हैं। ऐसे स्थिति में तत्काल किसी अच्छे डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

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