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भोजपुरी, मैथिली, मगही और अंगिका को अधिकार दिलाने की मुहिम तेज, राज्यपाल से मिला प्रतिनिधिमंडल

राज्यपाल से मुलाकात के बाद मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव ने मीडिया से कहा कि जब तक इन भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा का अधिकार नहीं मिल जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

by Reeta Rai Sagar
Delegation meets Jharkhand Governor demanding regional language status for Bhojpuri, Magahi, Maithili, Angika
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क्षेत्रीय भाषा के दर्जे की मांग को लेकर राज्यपाल को सौंपा गया ज्ञापन, आंदोलन जारी रखने की चेतावनी

Ranchi: झारखंड में भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका और भूमिज भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा का दर्जा दिलाने के लिए चल रहा आंदोलन अब तेज़ी पकड़ता जा रहा है। शुक्रवार, 11 जुलाई को अखिल भारतीय भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव के नेतृत्व में एक छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा।

प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि इन भाषाओं को झारखंड नियोजन नीति में क्षेत्रीय भाषा के रूप में शामिल किया जाए। साथ ही, राज्य सरकार को निर्देश देने की अपील की कि सभी मान्यता प्राप्त भाषाओं को उचित सम्मान और स्थान प्रदान किया जाए।


किन भाषाओं को नहीं दी गई मान्यता?

प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को अवगत कराया कि झारखंड सरकार द्वारा 29 अगस्त 2018 को जारी अधिसूचना के अनुसार भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका और भूमिज भाषाओं को राज्य की द्वितीय राजभाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है।

हालांकि, 10 मार्च 2023 को झारखंड सरकार के कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग द्वारा जारी झारखंड कर्मचारी चयन आयोग परीक्षा संचालन नियमावली 2023 में इन भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा की सूची से बाहर रखा गया, जबकि अन्य 12 भाषाओं को शामिल किया गया।


किन क्षेत्रों में बोली जाती हैं ये भाषाएं?

प्रतिनिधिमंडल ने जोर देकर कहा कि ये भाषाएं झारखंड के कई महत्वपूर्ण जिलों जैसे रांची, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो, गोड्डा, देवघर, गिरिडीह, कोडरमा और चतरा में व्यापक रूप से बोली जाती हैं। पलामू और संथाल परगना प्रमंडल में भी इन भाषाओं का उपयोग आम है। इनकी साहित्यिक विरासत भी समृद्ध है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

प्रतिनिधियों ने यह भी बताया कि 18 फरवरी 2022 को जारी अधिसूचना संख्या 453 में जिलावार चिन्हित क्षेत्रीय भाषाओं में इन पांच भाषाओं को शामिल नहीं किया गया, जो सरासर अन्याय है।


राज्यपाल ने दिया भरोसा, मुख्यमंत्री से मुलाकात की सलाह

राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने प्रतिनिधिमंडल की बातों को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि वह इस विषय पर राज्य सरकार को पत्र लिखेंगे और मामले का गंभीरता से अध्ययन करेंगे। उन्होंने प्रतिनिधियों को सलाह दी कि वे इस विषय पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी मिलें और उन्हें स्थिति से अवगत कराएं।


आंदोलन रहेगा जारी: कैलाश यादव

राज्यपाल से मुलाकात के बाद मंच के अध्यक्ष कैलाश यादव ने मीडिया से कहा कि जब तक इन भाषाओं को क्षेत्रीय भाषा का अधिकार नहीं मिल जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

प्रतिनिधिमंडल में कैलाश यादव के अलावा अमरनाथ झा (अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद के प्रदेश अध्यक्ष), सुधीर गोप, सुरेंद्र मिश्रा, राधेश्याम यादव और सुनील पांडेय शामिल थे।

अमरनाथ झा ने राज्यपाल से अपील की कि राज्य की सभी 17 द्वितीय राजभाषाओं को न्यायपूर्ण सम्मान और प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।

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