नई दिल्ली : अमेरिका में एक बड़े साइबर हमले की खबर सामने आई है, जिसमें चीनी हैकिंग ग्रुप “Salt Typhoon” ने अमेरिकी नागरिकों का कॉल मेटा डेटा चुरा लिया है। इस हमले ने अमेरिका के प्रशासन को गंभीर चिंता में डाल दिया है और अब इस पर कड़ी कार्रवाई करने की योजना बनाई जा रही है।
हैकर्स ने कौन सी जानकारी चुराई?
“Salt Typhoon” ग्रुप ने अमेरिका के महत्वपूर्ण टेलीकम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाते हुए हजारों नागरिकों का मेटा डेटा चुराया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हैकर्स ने कॉल की तारीख, समय, स्थान और कॉल करने वाले व्यक्तियों की जानकारी प्राप्त की है। हालांकि, कॉल के कंटेंट, यानी बातचीत की डिटेल्स चुराई नहीं गईं, फिर भी इस डेटा के लीक होने से व्यक्तिगत और पेशेवर जानकारी का खतरा बना हुआ है।
कौन सी कंपनियां बनीं हैकिंग का शिकार?
इस साइबर हमले में अमेरिका की आठ प्रमुख टेलीकम्युनिकेशन कंपनियां निशाना बनीं। इन कंपनियों में Verizon, AT&T, T-Mobile, और Lumen जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं। हालांकि, T-Mobile ने स्पष्ट किया है कि उनके ग्राहकों का डेटा प्रभावित नहीं हुआ है, फिर भी अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि चुराया गया मेटा डेटा बहुत बड़ी संख्या में नागरिकों का हो सकता है, जिससे भविष्य में साइबर अपराधों की संभावना बढ़ सकती है।
अमेरिका की कड़ी कार्रवाई
अमेरिकी अधिकारियों ने इस साइबर हमले को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल, CISA (साइबर सुरक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षा एजेंसी), और FCC (फेडरल कम्युनिकेशन्स कमीशन) के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक बैठक आयोजित की, जिसमें इस हमले के असर और इससे जुड़े खतरों पर चर्चा की गई। उनका मानना है कि चोरी किए गए मेटा डेटा का इस्तेमाल सर्विलांस, ब्लैकमेलिंग और व्यक्तियों की निगरानी में किया जा सकता है। इसके अलावा, यह अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा हो सकता है, क्योंकि यह राज्य-प्रायोजित साइबर हमलों या जासूसी के रूप में इस्तेमाल हो सकता है।
वैश्विक साइबर सुरक्षा पर खतरा
यह हमला केवल अमेरिका के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक साइबर सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी है। “Salt Typhoon” जैसे साइबर ग्रुप्स टेलीकम्युनिकेशन कंपनियों को निशाना बना रहे हैं, जिससे यह दिखता है कि साइबर हमले कितने बड़े और जटिल हो सकते हैं। इन हमलों का असर सिर्फ व्यक्तिगत जानकारी पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर भी पड़ सकता है।
साइबर सुरक्षा के लिए जरूरी कदम
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे साइबर हमलों से निपटने के लिए सरकारों और कंपनियों को और कड़े और प्रभावी उपायों को लागू करना होगा। साथ ही, नागरिकों को अपनी निजी जानकारी और डेटा की सुरक्षा के प्रति अधिक सजग रहना चाहिए, ताकि वे साइबर हमलों से बच सकें। “Salt Typhoon” द्वारा किया गया यह साइबर हमला डिजिटल दुनिया में सुरक्षा की कमजोरियों को उजागर करता है। यह हमले केवल तकनीकी समस्या नहीं हैं, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी एक गंभीर चुनौती बन चुके हैं। इसके लिए वैश्विक स्तर पर प्रभावी कदम उठाने की जरूरत है।