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BIHAR LIQUOR BAN : बिहार में शराबबंदी के 9 साल: जहरीली शराब से 190 मौतें, आंकड़ों में हुए बड़े खुलासे

by Rakesh Pandey
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पटना: बिहार में शराबबंदी लागू हुए अब 9 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद शराब के कारोबार और जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अप्रैल 2016 में बिहार में शराबबंदी लागू की थी, जिसके बाद शराब के निर्माण, व्यापार और बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया। हालांकि, इन वर्षों में शराब तस्करी और जहरीली शराब से मौतें लगातार चर्चा का विषय बनी रही हैं।

शराबबंदी के बावजूद जहरीली शराब से मौतें

बिहार के मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, शराबबंदी के लागू होने के बाद से बिहार के छह जिलों में जहरीली शराब से 190 लोगों की मौत हो चुकी है। यह आंकड़े सारण, सीवान, गया, भोजपुर, बक्सर और गोपालगंज जिलों से संबंधित हैं। विभाग के सचिव विनोद सिंह गुंजियाल ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 2016 से अब तक इन जिलों में जहरीली शराब पीने से 190 लोगों की जान चली गई है।

शराबबंदी के उल्लंघन में बड़ी कार्रवाई

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, शराबबंदी लागू होने के बाद से बिहार में अब तक 9.36 लाख मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें से 14.32 लाख लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा, राज्य के आबकारी विभाग ने इन 9 वर्षों में 3.86 करोड़ लीटर शराब जब्त की है, जिसमें से 97 प्रतिशत यानी 3.77 लाख लीटर शराब को नष्ट किया जा चुका है। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब के कारोबार पर पूरी तरह से काबू पाना मुश्किल हो रहा है।

तस्करी रोकने के लिए विशेष कदम

बिहार सरकार ने शराब तस्करी को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए हैं। 9 सालों में, करीब 1.40 लाख वाहन तस्करी के दौरान जब्त किए गए हैं। इसके अलावा, अपराधियों और तस्करों की पहचान करने के लिए राज्य सरकार ने 33 खोजी कुत्तों की मदद भी ली है। इन कुत्तों की मदद से पुलिस और आबकारी विभाग तस्करों और अवैध शराब के कारोबारियों तक पहुंचने में सफल हुए हैं।

राजस्व संग्रह में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन

शराबबंदी का एक और पहलू राज्य के राजस्व संग्रह से जुड़ा है। शराबबंदी के बावजूद बिहार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 7,648.88 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त किया, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इस दौरान राज्य सरकार ने फ्लैट और भूमि रजिस्ट्रेशन से भी काफी आय अर्जित की है। इस वित्तीय लक्ष्य से सिर्फ 148.88 करोड़ रुपये अधिक राजस्व प्राप्त किया गया है, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।

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