पटना: तकनीक का सदुपयोग किया जाए तो यह काफी कारगर साबित हो सकती है। बिहार सरकार ने राज्य में कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए एक नई तकनीकी पहल की शुरुआत की है। बिहार पुलिस जनवरी 2024 से ड्रोन पुलिस यूनिट पर काम कर रही है, और इसे जल्द ही लागू किया जाएगा। इस योजना के तहत पुलिस अब ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करेगी, जिससे अपराध नियंत्रण में एक नई दिशा मिलेगी। पुलिस मुख्यालय के मुताबिक, इस यूनिट का उद्देश्य अपराधियों पर प्रभावी नजर रखना और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर अपराधों पर काबू पाना है।
बिहार में ड्रोन पुलिस यूनिट की आवश्यकता और उद्देश्य
हालांकि बिहार पुलिस पहले से ही ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर रही थी, लेकिन ‘ड्रोन पुलिस यूनिट’ के गठन के साथ यह कदम और अधिक प्रभावी बनने जा रहा है। इस यूनिट का मुख्य उद्देश्य आधुनिक पुलिसिंग तकनीक का समन्वय करना और अपराध नियंत्रण को और अधिक प्रभावी बनाना है। यूनिट के पास हाई-टेक ड्रोन्स होंगे, जिनमें नाइट विजन कैमरा, जीपीएस ट्रैकिंग, रियल-टाइम डेटा ट्रांसमिशन और ऑटोनॉमस फ्लाइट जैसी सुविधाएं होंगी।
ड्रोन पुलिस यूनिट कैसे काम करेगी?
यह यूनिट अपराधों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करेगी। खासतौर पर बालू माफिया, शराब तस्करी, भीड़ नियंत्रण, आपातकालीन स्थिति में मदद, और छापेमारी अभियानों में पुलिस को सहायता मिलेगी। ड्रोन से प्राप्त रियल-टाइम डेटा पुलिस को अपराधियों के बारे में सटीक जानकारी देंगे। इससे अपराध नियंत्रण में सहूलियत होगी।
बालू और शराब तस्करी पर कड़ी नजर
बिहार में बालू माफिया और शराब तस्करी एक बड़ी समस्या रही है। ड्रोन के माध्यम से पुलिस इन गतिविधियों पर लगातार नजर रखेगी। नदियों के किनारे या दुर्गम इलाकों में अवैध बालू खनन और शराब तस्करी की तस्वीरें और वीडियो जुटाने में ड्रोन का योगदान अहम होगा।
छापेमारी अभियानों में मदद
ड्रोन पुलिस को छापेमारी अभियानों के दौरान रणनीतिक लाभ प्रदान करेगा। पुलिस को अपराधियों के ठिकाने, उनके भौगोलिक स्थान, और गतिविधियों के बारे में पूर्व जानकारी प्राप्त होगी, जिससे ऑपरेशन की सफलता दर बढ़ेगी और पुलिसकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
भीड़ प्रबंधन और हिंसा रोकथाम
धार्मिक आयोजनों, राजनीतिक रैलियों या प्रदर्शनों के दौरान भीड़ को नियंत्रित करना एक चुनौती हो सकता है। ड्रोन की मदद से पुलिस संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रख सकेगी और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त बल भेजने में मदद मिलेगी। यह पुलिस पर हमलों को रोकने में भी कारगर साबित हो सकता है।
ट्रैफिक नियंत्रण और एआई का सहयोग
ड्रोन तकनीक यातायात प्रबंधन में भी सहायक होगी। ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन, जाम की स्थिति, और दुर्घटनाओं की रियल-टाइम जानकारी ट्रैफिक पुलिस तक पहुंचाई जाएगी। साथ ही, एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के माध्यम से ड्रोन संभावित खतरों का ट्रैक कर सकेगा, जिससे भविष्य में आपदा प्रबंधन और सार्वजनिक सेवाओं में भी ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
वायु सेवा का सहयोग और प्रशिक्षण
इस ड्रोन पुलिस यूनिट के गठन में भारतीय वायु सेवा का महत्वपूर्ण सहयोग रहेगा। वायु सेवा के विशेषज्ञ बिहार पुलिस को ड्रोन संचालन, रख-रखाव और डेटा विश्लेषण का प्रशिक्षण देंगे। इससे पुलिस की क्षमता बढ़ेगी और तकनीकी संचालन में सुधार होगा।
कम संसाधनों में ज्यादा प्रभाव
पारंपरिक पुलिसिंग की तुलना में ड्रोन तकनीक कम संसाधनों में अधिक क्षेत्र को कवर करने की क्षमता रखती है। एक ड्रोन ऑपरेटर कुछ ही मिनटों में कई किलोमीटर के दायरे में निगरानी कर सकता है, जबकि पहले इसके लिए कई पुलिसकर्मियों की तैनाती की आवश्यकता होती थी।
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