नेहा वर्मा
जमशेदपुर : Bollywood Director Sajid Ali : बॉलीवुड इंडस्ट्री के प्रख्यात डायरेक्टर इम्तियाज अली के नक्शे कदम पर चलने वाले उनके भाई साजिद अली पिछले दिनों अपनी फिल्म ‘लैला मजनू’ के कॉलेज प्रीमियर में बतौर स्पेशल गेस्ट करीम सिटी पहुंचे थे। बता दें, साजिद की इस फिल्म को पूरे देश में री-रिलीज किया गया है। कुछ हफ्ते पहले ही इस फिल्म को कश्मीर समेत मेट्रो सिटी के कई थिएटर्स में री-रिलीज किया गया था। फिल्म हाउसफुल रही और उसने लगभग तीन करोड़ का बिजनेस किया है। साजिद ने फिल्म की ‘माउथ पब्लिसिटी’ पर दिल खोलकर बातचीत की है।
जमशेदपुर के टैलेंट पर साजिद ने कहा कि मुंबई में जमशेदपुर के ऐसे कई टैलेंट से मिल चुका हूं, जो प्रभावित करते हैं। सच कहूं, तो वहां अपने लोगों को देखकर गर्व होता है। जमशेदपुर वालों के बारे में यही कहना चाहूंगा कि पूरे देश में हमारे पास जो कॉस्मोपॉलेटिन कल्चर का प्रभाव है, वो शायद ही दुनिया में किसी के पास हो। यही वजह है कि हम भीड़ से अलग होते हैं। यहां के यूथ में भरपूर टैलेंट देखता हूं और चाहता हूं कि वो बाहर निकलें और खुद को एक्सप्लोर करें। यहां के टैलेंट को मेरा स्पेशल सपोर्ट हमेशा रहेगा।
‘लैला मजनू’ की सफलता के पीछे माउथ पब्लिसिटी का हाथ है?
– हां, इसका सारा श्रेय मैं अपने ऑडियंस को देता हूं। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि उनकी वजह से ही मेरी फिल्म को दोबारा रिलीज का सौभाग्य मिला है। वरना कितनी फिल्में आकर चली जाती हैं, लेकिन ‘लैला मजनू’ का दोबारा रिलीज होना किसी मैजिक से कम नहीं था। मैं पूरी तरह से अपने दर्शकों-प्रशंसकों का ऋणी हूं और चाहूंगा कि ये प्यार हमेशा बरकरार रहे। माउथ पब्लिसिटी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि दर्शक से बढ़कर कोई नहीं होता है। वो चाहे तो कुछ भी मुमकिन है।
जब 2018 में रिलीज हुई और डिजास्टर करार दी गई, उस वक्त मनोबल टूटा था?
– हां, आखिर मैं भी इंसान ही हूं। कॉन्फिडेंस टूटता है और दोबारा उतनी हिम्मत जुटा पाना भी मुश्किल सा हो जाता है। मैं बहुत निराश हुआ था, डिप्रेशन में भी रहा। दरअसल माजरा यह है कि हमने फिल्म के साथ पूरी ईमानदारी बरती थी। फिर भी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार कमी कहां रह गई। बतौर डायरेक्टर तो मैंने वही परोसने की कोशिश की, लेकिन जनता को क्यों पसंद नहीं आई? क्या उनका टेस्ट बदल गया? मेरे तरीके में कोई कमी रह गई? मैं पूरी तरह से सेल्फ डाउट पर चला गया था। दोबारा प्रोजेक्ट के लिए हिम्मत जुटानी पड़ती थी, लेकिन ये प्रोफेशन ऐसा है कि आपको मूव ऑन करना पड़ता है। मैं इस चीज पर निश्चिंत था कि मैंने और मेरी टीम ने अपने काम से कोई समझौता नहीं किया था। देखिए आखिरकार देर-सबेर उसे वो
तवज्जो तो मिल ही गई, जिसकी वो हकदार थी।
इम्तियाज अली से तुलना पर चिंता होती है?
– नहीं, आप ऐसा मान सकते हैं कि दो भाई अगर एक फील्ड में हैं, तो तुलना होती रहेगी। हालांकि मैं इम्तियाज का तब से फैन हूं, जब दुनिया उसे नहीं जानती थी। मैं जानता था कि ये बड़ी चीज है और मैं बचपन से ही उनकी सोच का फैन रहा हूं। अगर फैन का नाम बार-बार उसके आइडियल से लिया जाए, तो इससे बड़ी बात क्या होगी। मुझे बड़ी खुशी होती है कि प्रोडक्शन, प्रेजेंट या राइटिंग में मेरा नाम उनके साथ जुड़ता है। तुलना की सोच ही नहीं सकता। वो हर मायने में मुझसे सीनियर हैं। मैं खुशनसीब हूं कि उनके साथ काम करने का मौका मिलता है।
आपकी प्रोजेक्ट्स में उनकी कितनी दखलअंदाजी रहती है और कितने सख्त हैं?
– उनका क्रिएटिव कॉल हमेशा रहता है। सख्त वो मेरे लिए हैं, लेकिन कई बार मेरी क्रिएटिविटी को उन्होँने सराहा है। हां, काम को लेकर वो बहुत ही स्ट्रिक्ट हो जाते हैं। उन्हें किसी भी चीज से छेड़छाड़ या समझौता पसंद नहीं है। हालांकि उनकी मौजूदगी ने मेरे काम को तराशा ही है।
‘लैला मजनू’ को लेकर फैंस की कोई बात, जिसने आपको इमोशनल किया हो?
– हां, मैं भी देखता रहता हूं। हालांकि हाल ही मैंने सोशल मीडिया पर डेब्यू किया है। फैंस के रील्स शेयर करने की कोशिश भी करता रहता हूं। एक दिलचस्प किस्सा बताता हूं। फिल्म में एक गाना है, जहां कैश भट्ट फोन पर लैला से बात करता है। वो फोन नंबर फ्लैश हो चुका है। आज भी उस नंबर पर पूरी दुनियाभर से मेसेज आते रहते हैं। वो नंबर मेरे असिस्टेंट डायरेक्टर का है। फैंस के मैसेज पढ़कर मैं कई बार इमोशनल हो जाता हूं।
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