सेंट्रल डेस्क : Britain PM Keir Starmer : ब्रिटेन के चुनाव में इस बार ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी की हार हुई है। वहीं लेबर पार्टी ने 14 साल बाद सत्ता में जोरदार वापसी की है। लेबर पार्टी को ये बड़ी जीत कीर स्टार्मर की अगुवाई में मिली है। इसी के साथ कीर स्टार्मर ब्रिटेन के नए पीएम बन गए हैं। उन्होंने मंत्रियों की नियुक्ति भी शुरू कर दी है, जिसमें एंजेला टेनर को उपप्रधानमंत्री बनाया है। यहां बता दें कि ब्रिटेन में 650 सीटों में से सरकार बनाने के लिए 326 सीटों का आंकड़ा पार करना होता है। लेकिन लेबर पार्टी बहुमत के आंकड़े से काफी आगे निकल गई। इस बार लेबर पार्टी 412 सीट हासिल कर चुकी है।
बता दें कि कीर स्टार्मर का जन्म लंदन में हुआ था। वहीं उनकी परवरिश सरे में हुई थी। स्टार्मर भी निवर्तमान प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की तरह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पढ़े हैं और यहां से उन्होंने सिविल लॉ में ग्रेजुएशन किया था। स्टार्मर को सबसे पहले 2015 में लंदन से लेबर पार्टी का संसद सदस्य चुना गया था। राजनीति में आने से पहले स्टार्मर एक लंबा समय विधिक पेशे में बिता चुके हैं। साल 1987 में स्टार्मर को बैरिस्टर की उपाधि मिली थी।
विजय हासिल करने के साथ ही कीर स्टार्मर ने ब्रिटेन की जनता का आभार तो जताया ही, साथ ही ये भी कहा कि आखिरकार इस महान राष्ट्र के कंधों से एक बोझ हट गया। उनका इशारा ऋषि सुनक की ओर था। हालांकि, उन्होंने सुनक के कार्यों को सराहा, लेकिन कहा कि वास्तविक परिवर्तन अब शुरू होता है। उन्होंने कहा कि इस जीत से ये भी जाहिर हआ कि लोगों में कंजर्वेटिव पार्टी के प्रति कितना गुस्सा था।
Britain PM Keir Starmer : श्रमिक आंदोलन के बाद पार्टी का बना नाम
ब्रिटेन के राजनीतिक इतिहास को देखें तो यहां पहली बार साल 1945 में लेबर पार्टी की सरकार बनी थी, जबकि पार्टी की स्थापना इससे 45 साल पहले सन् 1900 में ही हो गई थी। वहीं लेबर पार्टी का उदय समाजवादी आंदोलनों और ट्रेड यूनियनों के आंदोलनों की देन था। इसके मूल में श्रमिक आंदोलन ही था। वर्ष 1945 में जीत दर्ज करने के साथ ही लेबर पार्टी ने ब्रिटेन की गद्दी पर 1964 से 1970 और 1974 से 1979 के बीच राज किया।
वहीं इसके बाद लेबर पार्टी को लंबे समय तक विपक्ष में रहकर संघर्ष करना पड़ा। खाड़ी युद्ध के समय अमेरिका का साथ देने की वजह से 1983 के आम चुनाव में भी लेबर पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन देखने को मिला था। तब पार्टी को महज 27.6 फीसदी वोट मिले थे और सीटों की संख्या थी 209।
बता दें कि लेबर पार्टी को नया जीवन मिला पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की सक्रियता के समय। टोनी ब्लेयर ने न्यू लेबर की फिलॉस्फी से ब्रिटेन के आम लोगों के दिलों दिमाग को झकझोर दिया। न्यू लेबर पूंजीवाद और समाजवाद का एक सेतु था। वहीं पूर्व सोवियत संघ के विघटन के बाद उन्होंने एक मध्यमार्गीय राजनीति अपनाई। टोनी ब्लेयर का न्यू लेबर सिद्धांत काफी पॉपुलर हो गया। नतीजा ये हुआ कि सन् 1997 के आम चुनाव में लेबर पार्टी को ऐतिहासिक जीत मिली।
सीटों के मामले में देखें तो कंजर्वेटिव का सबसे अच्छा परफॉर्मेंस 1983 के आम चुनाव में देखने को मिला, जब पार्टी के 397 सांसद चुने गए थे। उससे पहले सन् 1997 के आम चुनाव में 165 कंजर्वेटिव सांसद चुने गए थे। वहीं 1918 के बाद वोट शेयर और विजयी सीटों के मामले में यह सबसे खराब प्रदर्शन था। इसके बाद 2019 के आम चुनाव में पार्टी को 365 सीटें मिली थीं।
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