नई दिल्ली : मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार के 18 फरवरी को सेवानिवृत्त होने के बाद उनकी जगह नए CEC की नियुक्ति के लिए सोमवार को एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने भाग लिया। हालांकि, कांग्रेस ने इस बैठक को लेकर अपनी आपत्ति जताई है और मांग की है कि इसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तक स्थगित कर देना चाहिए था।
CEC चयन समिति में शामिल राहुल गांधी
राजीव कुमार की रिटायरमेंट के बाद उनकी जगह पर नई नियुक्ति की प्रक्रिया के लिए एक चयन समिति का गठन किया गया है। इस समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी शामिल हैं। हालांकि, इस बैठक के बाद राहुल गांधी ने स्पष्ट रूप से सवाल उठाया कि इस बैठक को क्यों आयोजित किया गया, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले से ही इस मामले पर 19 फरवरी को सुनवाई की तारीख तय की थी। उनका कहना था कि कोर्ट के निर्णय तक बैठक को स्थगित कर देना चाहिए था।
ज्ञानेश कुमार होंगे नए CEC
राजीव कुमार के सेवानिवृत्त होने के बाद, ज्ञानेश कुमार, जो कि वर्तमान में सबसे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त हैं, नए CEC के रूप में नियुक्त होंगे। उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक होगा। केंद्र सरकार ने इस चयन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए हाल ही में एक खोज समिति का गठन किया था, जिसमें केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित कई अन्य सदस्य शामिल हैं।
कांग्रेस का आरोप: सोची-समझी रणनीति
कांग्रेस ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि CEC और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित चयन समिति से भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को हटाना एक सोची-समझी रणनीति है। राहुल गांधी ने संसद में एक सवाल उठाया, “पहले चुनाव आयुक्त का चयन प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश करते थे, लेकिन अब मुख्य न्यायाधीश को इस समिति से बाहर कर दिया गया है। इसका कारण क्या है?” कांग्रेस इस कदम को संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ मानती है, जो कि इस चयन प्रक्रिया में न्यायपालिका की भूमिका को सुनिश्चित करता था।
CEC चयन में कोर्ट की भूमिका
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी और अजय माकन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 19 फरवरी को सुनवाई की तारीख तय की है। कांग्रेस ने कहा कि इस मामले में न्यायालय का निर्णय आने से पहले इस चयन प्रक्रिया को टाल देना चाहिए था। अभिषेक सिंघवी ने यह भी कहा कि, “आज की बैठक को एक या दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया जाना चाहिए था, ताकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अपना फैसला सुनाए।”
कांग्रेस ने अपनी मांग में यह भी कहा कि CEC और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में सिर्फ कार्यपालिका को नहीं, बल्कि न्यायपालिका को भी शामिल किया जाना चाहिए। इसके बिना चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं।
केंद्र सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार ने हालांकि इस मामले में अपने पक्ष को स्पष्ट किया है। सरकार का कहना है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति का मामला केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है, और वे इसे संविधान के तहत तय प्रक्रिया के अनुसार कर रहे हैं। सरकार ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चुनाव आयोग की नियुक्ति के लिए एक नई प्रक्रिया बनाई जाएगी, जिसमें सभी जरूरी पहलुओं का ध्यान रखा जाएगा।
कुल मिलाकर, कांग्रेस का मानना है कि CEC की नियुक्ति का मामला संवेदनशील है और इसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक स्थगित किया जाना चाहिए था। पार्टी का यह भी कहना है कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए इसमें न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण होनी चाहिए।