Chaibasa (Jharkhand) : झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) जिले के संथाल बाहुल्य गांवों में इन दिनों प्राचीन पारंपरिक महापर्व ‘सागुन सोहराई’ की धूम है। यह पर्व संथाल समुदाय के लोगों द्वारा हर्ष उल्लास और धूमधाम से मनाया जा रहा है। बुधवार को चक्रधरपुर नगर के पोटका संथाल बस्ती में सोहराई को लेकर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें सिंहभूम की लोकप्रिय सांसद जोबा माझी भी शामिल हुईं। इस मौके पर सांसद जोबा माझी ने समाज की महिलाओं के साथ मिलकर पशुधन की पूजा-अर्चना की।
पारंपरिक परिधान पहनकर, सांसद ने संथाल समाज की महिलाओं के साथ मिलकर गाय, बैल आदि पशुधन की पारंपरिक तरीके से आरती उतारी और पूजा-अर्चना की। मौके पर उपस्थित ग्रामीणों ने ढोल और मांदर बजाते हुए पशुओं को नृत्य भी कराया, जिससे वातावरण खुशनुमा हो गया।
मवेशियों के सम्मान और परिवार की सुख समृद्धि का पर्व
सांसद जोबा माझी ने सभी लोगों को सोहराई पर्व की शुभकामनाएं देते हुए इस पर्व के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि सोहराय पर्व संथाल समुदाय का प्राचीन पारंपरिक महापर्व है। इस पर्व के मौके पर हम गाय, बैल आदि पशुधन की पूजा-अर्चना कर उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। साथ ही, किसानों और अपने परिवार की सुख समृद्धि की भी कामना करते हैं।
उल्लेखनीय है कि संथाल समाज में सागुन सोहराई मूलतः मवेशियों (विशेषकर गाय और बैल) का सम्मान करने, प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने और अच्छी फसल की कामना के लिए मनाया जाता है। इसमें गोधन (गाय-भैंस), हल और अन्य खेती-बाड़ी के औजारों की पूजा की जाती है, क्योंकि ये मनुष्य के जीवन और कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।


