जमशेदपुर : पलामू के छतरपुर के अनुमंडलीय अस्पताल में तैनात चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर मृत्युंजय सिंह को स्वास्थ्य विभाग ने सस्पेंड कर दिया है। डॉक्टर मृत्युंजय सिंह छतरपुर से सैकड़ों किलोमीटर दूर सरायकेला जिले के आदित्यपुर में दरभंगा मेडिकल स्टोर पर निजी प्रैक्टिस करते थे। इस दौरान डॉक्टर मृत्युंजय सिंह ने छतरपुर अनुमंडलीय अस्पताल में ड्यूटी नहीं की। यही नहीं रजिस्टर में उन्होंने गलत तरीके से अपनी हाजिरी भी बना दी थी। इसकी शिकायत होने पर स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग ने मामले की जांच कराई। जांच में डॉक्टर मृत्युंजय सिंह पर लगे आरोप सही पाए गए। इसके बाद उन्हें छतरपुर अनुमंडलीय अस्पताल से गैर हाजिर रहने सरकार की योजनाओं के प्रति लापरवाही बरतने के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है।
अलग से चलेगी विभागीय जांच
निलंबन की अवधि में डॉक्टर मृत्युंजय सिंह को जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा। निलंबन की अवधि में डॉक्टर मृत्युंजय सिंह छतरपुर के अनुमंडलीय अस्पताल में ही तैनात रहेंगे। इनके खिलाफ निलंबन के अलावा विभागीय कार्रवाई अलग से शुरू की जाएगी।
फर्जी डिग्री का भी लगा था आरोप
डॉ मृत्युंजय सिंह पर पहले एमबीबीएस की फर्जी डिग्री होने का आरोप भी लगा था। कहा गया था कि उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी नहीं की। इसके बावजूद उन्हे डिग्री मिल गई थी। इस मामले की बाकायदा जांच की गई थी।
स्वास्थ्य विभाग के आदेश पर कमिश्नर ने कराई थी जांच
स्वास्थ्य विभाग से डॉ मृत्युंजय सिंह के खिलाफ शिकायत की गई थी। स्वास्थ्य विभाग ने कमिश्नर को जांच का रिपोर्ट देने को कहा था। इसके बाद कमिश्नर ने दो सदस्यीय टीम बनाकर पूरे मामले की जांच कराई थी। जांच टीम ने पिछले साल 26 अगस्त को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी थी। इसके बाद जांच रिपोर्ट सरकार को भेजी गई थी। लेकिन जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के 5 महीने बाद अब कार्रवाई हो पाई है।
बायोमेट्रिक और रजिस्टर की हाजिरी में था अंतर
डॉ मृत्युंजय सिंह के छतरपुर स्थित अनुमंडलीय अस्पताल से गैर हाजिर रहने की जांच की गई थी। जांच में पाया गया था कि डॉक्टर मृत्युंजय सिंह ने जो बायोमेट्रिक हाजिरी बनाई है। उसमें पिछले साल सितंबर 2023 से पिछले साल 3 जुलाई तक कुल 69 दिन थी। जबकि, रजिस्टर में उन्होंने 262 दिनों में अपने हस्ताक्षर बनाकर खुद को उपस्थित बताया था।
जांच में सामने आई थी प्रभारी चिकित्सा अधिकारी की मिली भगत
मामले की शिकायत होने पर सरकार ने कमिश्नर से जांच करने को कहा था। कमिश्नर ने दो सदस्यीय टीम बनाई थी। टीम ने पिछले साल अगस्त में रिपोर्ट दी थी। जांच में पता चला था की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर राजेश अग्रवाल की मिली भगत से मृत्युंजय सिंह हफ्ते में दो दिन बायोमेट्रिक हाजिरी बनाते थे। जबकि वह रजिस्टर में हर दिन उपस्थित दिखाते हुए दस्तखत करते थे।
Read also – Mango Theft: पुलिस ने सुभाष कॉलोनी में हुई गहनों की चोरी का किया खुलासा, एक गिरफ्तार व एक किशोर भी पकड़ाया