रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दिल्ली के एक प्रमुख चौक (सराय काले खां) का नाम बिरसा मुंडा के नाम पर रखे जाने पर कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि देने के नाम पर इस तरह का निर्णय आदिवासी समुदाय का अपमान है। सोरेन ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया एक्स (पूर्व ट्विटर) पर शनिवार को दी।
दिल्ली के बस स्टॉप का नामकरण : मुख्यमंत्री का विरोध
मुख्यमंत्री ने ट्वीट कर लिखा, ‘यह वही चौक है, जिसका नाम भगवान बिरसा मुंडा पर रखा गया है। क्या यह अपमान नहीं है? क्या दिल्ली में हमारे आराध्य के सम्मान के लिए कोई अन्य उपयुक्त स्थान नहीं था’। हेमंत सोरेन ने यह सवाल उठाया कि क्या राजधानी दिल्ली के प्रतिष्ठित स्थानों में से किसी पर उनका नाम नहीं रखा जा सकता था, जैसे सेंट्रल विस्टा, जो उनके अनुसार, बिरसा मुंडा के नाम के लिए अधिक सम्मानजनक स्थान हो सकता था। उन्होंने यह भी कहा, ‘यह सिर्फ झारखंडियों का ही नहीं, बल्कि पूरे देश के आदिवासियों और मूलवासियों का अपमान है’।
15 नवंबर को नाम बदलने की घटना
15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर केंद्र सरकार ने दिल्ली के सराय काले खां आईएसबीटी बस स्टैंड के बाहर स्थित बड़े चौक का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक कर दिया था। इस निर्णय पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सवाल उठाते हुए मांग की है कि केंद्र सरकार इस कदम को तुरंत वापस ले।
आदिवासियों के सम्मान का सवाल
हेमंत सोरेन का कहना है कि बिरसा मुंडा की प्रतिष्ठा और आस्था को सम्मान देने के लिए, उनके नाम पर दिल्ली के किसी और बड़े और सम्मानजनक स्थान का नामकरण होना चाहिए था। उनके अनुसार, सरकार को आदिवासी समुदाय की भावनाओं का ध्यान रखते हुए ऐसा कदम उठाना चाहिए था, ताकि बिरसा मुंडा जैसे आदिवासी नायक को सही सम्मान मिल सके।
मुख्यमंत्री की अपील
सोरेन ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वे अपने फैसले पर पुनर्विचार करे और बिरसा मुंडा जैसे महान नायक के सम्मान के लिए उपयुक्त स्थान का चयन करे। उन्होंने कहा, ‘हमारी आस्था और गौरव को देखते हुए, ऐसा कदम उठाना चाहिए जो पूरे आदिवासी समाज के लिए गर्व का कारण बने’।
माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह बयान इस बात का संकेत है कि आदिवासी समुदाय की भावनाओं और उनके महान नायकों के प्रति सम्मान केवल एक राजनीतिक मसला नहीं है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर से जुड़ा सवाल है। बिरसा मुंडा जैसे नायक का सम्मान हमारी संस्कृति और आस्था का प्रतीक है और इसे हर जगह सही तरीके से सम्मानित किया जाना चाहिए।