Chaibasa News : पश्चिमी सिंहभूम जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को तगड़ा झटका देते हुए वाहन मालिक को मुआवजा देने का आदेश दिया है। आयोग ने बीमा कंपनी को लापरवाही और अनुचित व्यापारिक व्यवहार का दोषी मानते हुए 1 लाख 93 हजार 268 रुपये की राशि 45 दिनों के भीतर अदा करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश शशिधर सिंह द्वारा दायर शिकायत के आधार पर जारी किया गया। उन्होंने अपनी टाटा सिग्ना 5525 वाहन के बीमा दावे में कंपनी पर जानबूझकर मुआवजा रोकने का आरोप लगाया था।
क्या है मामला
शशिधर सिंह ने 15 फरवरी 2023 से 14 फरवरी 2024 तक शून्य मूल्यह्रास नीति (Zero Depreciation Policy) के तहत अपनी गाड़ी का बीमा कराया था। 12 फरवरी 2024 को वाहन में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई, जिससे वायरिंग, डैशबोर्ड और अन्य हिस्सों को गंभीर नुकसान पहुंचा।
बीमा कंपनी ने सर्वेक्षण के बाद कुल खर्च की राशि में से सिर्फ 1 लाख 14 हजार 200 रुपये की आंशिक भरपाई की और बाकी की राशि देने से इनकार कर दिया। शिकायतकर्ता के अनुसार, बीमा कंपनी ने न तो सर्वे रिपोर्ट समय पर दी, न ही सर्वे के बारे में सूचना दी जिससे वह अपनी आपत्ति दर्ज करा सके।
आयोग का फैसला
आयोग ने बीमा कंपनी के इस व्यवहार को सेवा में स्पष्ट कमी और अनुचित व्यापार आचरण की श्रेणी में माना। आयोग ने आदेश में स्पष्ट किया कि:
- मरम्मत राशि के रूप में 1,63,268 रुपये
- मानसिक पीड़ा के लिए 20,000 रुपये
- वाद व्यय के रूप में 10,000 रुपये
इस प्रकार कुल 1,93,268 रुपये का भुगतान बीमा कंपनी को करना होगा।
साथ ही आयोग ने यह भी निर्देश दिया कि यदि 45 दिनों के भीतर यह राशि नहीं दी जाती है, तो उस पर 9 प्रतिशत वार्षिक ब्याज लगेगा। आदेश की प्रति दोनों पक्षों को निःशुल्क उपलब्ध कराने और आयोग की वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश भी दिया गया है।
इस फैसले से उपभोक्ताओं को यह संदेश गया है कि बीमा कंपनियों की मनमानी अब नहीं चलेगी। न्याय मिलने में भले देर हो, लेकिन मिलकर रहेगा।
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