लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजनीति में ‘DNA टिप्पणी’ को लेकर शुरू हुआ राजनीतिक घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और डिप्टी सीएम बृजेश पाठक के बीच जुबानी जंग अब विचारधारा और भाषा की मर्यादा तक पहुंच गई है।
बृजेश पाठक का तीखा प्रहार: ‘सपाइयों को लोहिया और जेपी की शिक्षा दें’
रविवार को डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व ट्विटर) पर समाजवादी पार्टी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा कि सपा मीडिया सेल के साथी आलोचना करते समय जिन शब्दों का प्रयोग करते हैं, उसे पढ़कर लगता ही नहीं कि यह पार्टी डॉ. राममनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्र की पार्टी रह गई है।
पाठक ने सपा प्रमुख को सलाह देते हुए कहा,
अखिलेश जी! सपाइयों को लोहिया-जेपी पढ़ाइए और पंडित जनेश्वर जी के भाषण सुनवाइए, ताकि इनके आचरण और उच्चारण में समाजवाद झलके।
बृजेश पाठक ने सपा नेताओं पर अश्लीलता, अराजकता और अभद्र भाषा के इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए लिखा कि हैरानी ये भी है कि ये लोग अपने बचाव में योगेश्वर कृष्ण का नाम लेने का दुस्साहस करते हैं। हे योगेश्वर, इन ‘शिशुपालों’ का वही उपचार करते रहिए जैसा उत्तर प्रदेश की जनता पिछले दस वर्षों से कर रही है।
अखिलेश यादव का जवाब: ‘स्वास्थ्य मंत्री को भद्दी टिप्पणियों से बचना चाहिए’
इससे पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बृजेश पाठक की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने DNA पर की गई टिप्पणी को निंदनीय बताया और कहा कि हमने पार्टी स्तर पर उन लोगों को समझाया है जो समाजवादियों के डीएनए पर की गई अति अशोभनीय टिप्पणी से आहत होकर अपना आपा खो बैठे। अखिलेश यादव ने आगे कहा कि एक स्वास्थ्य मंत्री के रूप में बृजेश पाठक को डीएनए जैसी व्यक्तिगत और धार्मिक रूप से संवेदनशील टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। हम यदुवंशी हैं, और भगवान श्रीकृष्ण से हमारा संबंध है, इसलिए यह बयान धार्मिक रूप से भी हमें आहत करता है।”
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
यह सियासी विवाद तब शुरू हुआ, जब बृजेश पाठक ने सपा मीडिया सेल के एक विवादित पोस्ट को शेयर करते हुए सवाल उठाया:
यह आपकी पार्टी की भाषा है? किसी के दिवंगत माता-पिता के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल? क्या डिंपल जी इस स्त्री-विरोधी और पतित मानसिकता को स्वीकार करेंगी? इसके बाद सपा मीडिया सेल ने सफाई दी कि, ब्रजेश पाठक जी, आप स्वास्थ्य मंत्री हैं। क्या आप DNA लैंग्वेज को समझते हैं? आपको जवाब उसी भाषा में दिया गया था। साथ ही, विवादित ट्वीट को डिलीट कर दिया गया और कहा गया कि मतभिन्नता हो सकती है, लेकिन डीएनए जैसी भाषा का इस्तेमाल उचित नहीं।