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प्रधानमंत्री मोदी की डिग्री का मामला : केजरीवाल, संजय सिंह को मानहानि मामले में नहीं मिली राहत, जानें अब क्या होगा?

by Rakesh Pandey
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अहमदाबाद: गुजरात में अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह की ओर से दायर उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले में सुनवाई पर अंतरिम रोक लगाने का आग्रह किया था। सत्र न्यायाधीश एजे कनानी की अदालत ने मेट्रोपोलिटन अदालत में चल रहे आपराधिक मानहानि मामले की सुनवाई पर अंतरिम रोक लगाने का आग्रह करने वाली आप नेताओं की याचिकाएं खारिज कर दी हैं।

अब 21 अगस्त को होगी कोर्ट में अगली सुनवाई

यह मामला गुजरात विश्वविद्यालय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिग्री के सिलसिले में केजरीवाल और सिंह के ‘व्यंग्यात्मक’ और ‘अपमानजनक’ बयानों को लेकर दायर किया गया था। आप नेताओं के वकील पुनित जुनेजा ने कहा कि अदालत ने शनिवार को अपना आदेश जारी किया और गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा समय मांगे जाने के बाद मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त के लिए तय कर दी।

 

 

दोनों नेताओं को अदालत में उपस्थित होना होगा :


जुनेजा ने कहा कि केजरीवाल और सिंह ने मानहानि मामले में मेट्रोपोलिटन अदालत के समन को चुनौती देते हुए सत्र अदालत में एक पुनर्विचार याचिका दायर की थी और अपनी मुख्य याचिका के लंबित रहने के दौरान सत्र अदालत से अंतरिम राहत मांगी थी तथा उनकी मुख्य याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया था। मेट्रोपोलिटन अदालत ने दोनों नेताओं को इस संबंध में जारी समन को लेकर 11 अगस्त को अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।

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राहत के लिए गुजरात उच्च न्यायालय ही विकल्प

जुनेजा ने कहा कि हमने यहां मेट्रोपोलिटन अदालत में चल रहे आपराधिक मानहानि मामले की सुनवाई पर अंतरिम रोक लगाने के लिए सत्र अदालत में एक याचिका दायर की थी। अदालत ने हमारी याचिका खारिज कर दी और मामले को 21 अगस्त के लिए सूचीबद्ध किया है। अदालत ने उन्हें इस आधार पर मामले में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया कि दोनों नेताओं ने मेट्रोपोलिटन अदालत से कहा है कि वे 11 अगस्त को उसके समक्ष उपस्थित रहेंगे। जुनेजा ने कहा कि वे गुजरात उच्च न्यायालय का रुख करेंगे। गुजरात विश्वविद्यालय के कुलसचिव पीयूष पटेल की ओर से दायर मानहानि याचिका में कहा गया है कि विश्वविद्यालय को निशाना बनाने वाली इन दोनों नेताओं की टिप्पणियां अपमानजनक थीं और विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाती हैं।

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