हेल्थ डेस्क, जमशेदपुर : झारखंड के जमशेदपुर स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कालेज अस्पताल आय दिनों किसी न किसी कारणों से चर्चा में रहता है। अब एक मरीज के फांसी लगाने के बाद यह अस्पताल चर्चा में आ गया है। दरअसल, शुक्रवार की दोपहर आदित्यपुर पुलिस ने मिंटू माझी को जख्मी अवस्था में एमजीएम अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया। इसके बाद घायल का इलाज शुरू हुआ। पुलिस भर्ती कराकर चली गई। मरीज बेड पर अकेला था। इसी बीच शाम में वह शौचालय गया और एक पाइप के सहारे फांसी लगाकर जान दे दी।
पुरुलिया का रहने वाला है मृतक
मृतक की पहचान मिंटू माझी के रूप में हुई है जो पुरुलिया निवासी है। शुक्रवार की दोपहर में वह पहले आदित्यपुर स्टेशन पर एक ट्रेन से कूदकर आत्महत्या करने का प्रयास किया था। इसके बाद आदित्यपुर पुलिस ने घायल को एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराकर चली गई। इसी बीच उन्होंने यह कदम उठा लिया। अब साकची पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
इस तरह हुआ खुलासा
मिंंटू माझी शौचालय गया था। इसी बीच एक दूसरे मरीज को भी शौचालय जाना था। वह मिंटू माझी को निकलने का इंतजार कर रहा था। इस दौरान कई बार उन्होंने आवाज भी लगाई। जब काफी देर हुई तो उन्होंने शौचालय का दरवाजा में धक्का दिया। इस दौरान दरवाजा खुल गया तो देखा कि मरीज फंदे से झूला हुआ है। इसके बाद इसकी सूचना होमगार्ड के जवानों को दी गई। जवानों ने मरीज को फंदे से उतारकर चिकित्सक कक्ष में लाया। यहां पर चिकित्सकों ने इसीजी सहित अन्य जांच की तो पता चला की मरीज की मौत हो चुकी है।
72 घंटे किया जाएगा इंतजार
मृतक को एमजीएम अस्पताल के शीतगृह में रखा गया है। 72 घंटे तक अगर कोई परिवार का सदस्य नहीं आया तो आगे की कार्रवाई की जाएगी। दरअसल, नियम के अनुसार, जब कोई अज्ञात मरीज की मौत होती है तो उसे 72 घंटे तक रखा जाता है। उसके बाद पुलिस आगे की कार्रवाई कर सकती है।
क्या कहते हैं एमजीएम उपाधीक्षक
एमजीएम अस्पताल के उपाधीक्षक डा. नकुल प्रसाद चौधरी कहते हैं कि घटना की जानकारी पुलिस को दे दी गई है। हालांकि, मरीज किस कारण से आत्महत्या किया वह जांच का विषय है। चूंकि, इससे पूर्व भी मरीज ने आदित्यपुर स्टेशन पर एक ट्रेन से कूदकर आत्महत्या करने का प्रयास कर चुका है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
एमजीएम में इससे पूर्व भी हो चुकी है इस तरह की घटनाएं
एमजीएम अस्पताल में इससे पूर्व भी इस तरह की घटनाएं हो चुकी है। पहले अस्पताल में कई मरीज वार्ड से कूदकर जान दे चुके हैं। इस तरह के बढ़ते घटनाक्रम को
देखते हुए पूरे वार्ड के बरामदे व खिड़की में जाली लगाया गया। ताकि कोई कूदे नहीं। इसके बाद कूद कर आत्महत्या करने के मामले कम हुए हैं। वहीं, अस्पताल के शौचालय में भी फांसी लगाकर पूर्व में कई मरीज जान दे चुके हैं। सबसे अधिक मामले मेडिसिन विभाग में देखने को मिला है।
मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने से मरीज उठाते हैं इस तरह के कदम
सदर अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉ. दीपक गिरी कहते हैं कि आत्महत्या करने के पीछे कई कारण होते हैं। लेकिन उस दौरान मरीज की मानसिक स्थिति बिल्कुल ठीक नहीं रहती। जिसके कारण मरीज यह बड़ा कदम उठा लेता है। अगर, उस दौरान मरीज को यह कदम उठाने से रोक लिया जाता है तो फिर वह नकारात्मक विचार निकल जाते हैं। डॉ. दीपक गिरी कहते हैं कि आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं जो चिंता का विषय है। इसके रोकथाम को लेकर बड़े पैमाने पर अभियान चलाने की जरूरत है। साथ ही, लोग किस कारण से आत्महत्या कर रहे हैं उसका निदान निकालना होगा। अन्यथा इस तरह के मामले लगातार बढ़ेंगे।