- आउटर नॉर्थ साइबर क्राइम पुलिस ने दो ठगों को किया गिरफ्तार
- एक गुम हुए मोबाइल के एप का उपयोग कर निकाल लिए थे 20 लाख
नई दिल्ली : आउटर नॉर्थ जिले की साइबर क्राइम पुलिस ने दो ऐसे शातिर साइबर ठग को गिरफ्तार किया है, जो चोरी या गुम हुए मोबाइल फोन को रिसेट कर उसमें मौजूद बैंकिंग ऐप्स का इस्तेमाल कर लाखों रुपये की ठगी कर रहे थे। दोनों गिरफ्तार आरोपी गगन (24) और अजीत (25) मोबाइल में मौजूद यूपीआई हाईजैक कर लिया करते थे। ये साइबर अपराधी पीड़ितों के आधार लिंक्ड बैंक खातों से पैसे ट्रांसफर कर नकदी निकाल लिया करते थे। मुख्य आरोपी गगन आईपी यूनिवर्सिटी का बी.टेक ड्रॉपआउट, जो ऑनलाइन ट्यूटोरियल्स से फोन अनलॉक करने का तरीका सीख अपराध को अंजाम दे रहा था। पुलिस ने इनके कब्जे से अपराध में इस्तेमाल 6 मोबाइल फोन, 1,05,000 नकद, पांच फर्जी बैंक डेबिट कार्ड बरामद की है
गुम हुए मोबाइल ले निकाल लिए थे 20 लाख रुपये
डीसीपी निधिन वाल्सन ने बताया कि स्वरूप नगर निवासी पासवान नामक पीड़ित ने शिकायत दर्ज कराई थी, बताया था कि 8 नवंबर 2024 को उनका रियलमी 9आई मोबाइल फोन बाजार से लौटते समय गुम हो गया। 12 नवंबर को नया सिम लेने के बाद उन्हें पता चला कि उनके केनरा बैंक खाते से 20 लाख रुपये निकाले जा चुके हैं। 15 नवंबर को साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई गई।
मामले को गंभीरती ले लेते हुए एसीपी ऑपरेशन दिनेश कुमार की देखरेख व इंस्पेक्टर रमन कुमार सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई गई। जांच के दौरान संदिग्ध मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल्स और बैंक खातों की जानकारी खंगाली गई। इसमें पुलिस ने दोनों आरोपियों की पहचान की और मनी ट्रेल ट्रैल करने पर दोनों का लोकेशन वृंदावन और दिल्ली में मिली, इसके बाद पुलिस टीम ने दोनों स्थानों पर छापेमारी कर दोनों को पकड़ लिया। जब दोनों से पूछताछ की गई तो दोनों ने पहले गुमराह करने की कोशिश की, लेकिन पर्याप्त सबूत मिलने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
गगन खरीदता था चोरी और गुम हुए मोबाइल, अजीत कमीशन पर देता था रुपये
पूछताछ में दोनों आरोपी ने बताया कि गगन बाजारों से चोरी व गुम हुए फोन खरीदता था। खरीदने के बाद ऑनलाइन ट्यूटोरियल्स के माध्यम से फोन को हार्ड रिसेट कर सभी सुरक्षा फीचर्स हटा देता था। यह जांच करता था कि क्या मोबाइल में कोई यूपीआई या बैंकिंग एप लॉग इन तो नहीं है। इसके बाद वह उन एप के आधार लिंक्ड यूपीआई पिन को रिसेट कर देता था।
इसके बाद वह उन एप से आरोपी अजीत को रुपये ट्रांसफर करता था, इसके लिए अजीत पहली निकासी पर 20 प्रतिशत और दूसरी निकासी करने पर 40 प्रतिशत तक कमीशन लिया करता था। इस्तेमाल कर लिए गए मोबाइल फोन को गगन सस्ते दामों में उन्ही को बेच दिया करता था, जिससे उसने वह मोबाइल लिए होते थे। डीसीपी ने बताया कि पुलिस की आगे की जांच जारी है और अन्य पीड़ितों की पहचान की जा रही है।
पुलिस ने बताई फोन गुम होने पर साइबर क्राइम से बचने के उपाय
पुलिस अधिकारी ने बताया कि बैंक से जुड़े मोबाइल फोन गुम होते ही सभी बैंक अकाउंट और डेबिट, क्रेडिट कार्ड तुरंत ब्लॉक करा दें। टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर से संपर्क कर मोबाइल के सिम कार्ड को बंद करवा कर नया सिम कार्ड प्राप्त करें। साथ ही फोन के आईएमईआई नंबर को ब्लॉक करने के लिए भारत सरकार की वेबसाइट सीईआईआरडॉटजीओवीडॉटइन पर रिपोर्ट करें।

टेलीग्राम पर रील्स के माध्यम से निवेश का झांसा दे बनाया 10 हजार लोगों को शिकार
- आउटर नॉर्थ साइबर थाना पुलिस ने चित्तौड़गढ़ से दो ठग किए गिरफ्तार
नई दिल्ली : आउटर नॉर्थ जिले की साइबर क्राइम पुलिस ने एक बड़े डिजिटल निवेश घोटाले का पर्दाफाश करते हुए चित्तौड़गढ़, राजस्थान से दो साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। ये आरोपी टेलीग्राम चैनलों पर रील्स जरिए फर्जी निवेश योजनाएं चलाकर लोगों से ठगी कर रहे थे। जांच में सामने आया है कि अबतक 10,000 से अधिक लोग इनके टेलीग्राम ग्रुप्स का हिस्सा बन चुके थे। आरोपी इंस्टाग्राम पर फर्जी रील्स डालकर लोगों को अपने जाल में फंसा रहे थे।
12.61 लाख रुपये की ठगी का मामला दर्ज
डीसीपी निधिन वाल्सन ने बताया कि 11 नवंबर 2024 को एक शिकायत दर्ज हुई थी। इस शिकायत में शिकायतकर्ता ने बताया था कि उनको व्हाट्सएप पर संपर्क कर एक टेलीग्राम ग्रुप ऑलवेज टीम नंबर प्रेडिक्शन में जोड़ा गया, जहां निवेश करने के लिए कहा गया। एक व्यक्ति, सुरेश गुर्जर, ने 2.5 लाख रुपये के निवेश पर हर महीने 50,000 रुपये रिटर्न का वादा किया। शिकायतकर्ता ने 12,61,908 रुपये ट्रांसफर कर दिए, लेकिन पैसे देने के बाद आरोपी ने संपर्क बंद कर दिया। जब शिकायतकर्ता को ठगी का अहसास हुआ, तो उन्होंने साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
मामला दर्ज कर एसएचओ रमन कुमार सिंह के नेतृत्व में एक टीम बनाई गई। टीम ने तकनीकी जांच और मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल्स खंगाले। साथ ही पीडित द्वारा जमा किए गए रुपयों के मनी ट्रेल का ट्रैक किया। जिसमें इन साइबर ठगों का का लोकेशन राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में मिला। इसके बाद टीम ने 20 मार्च को चित्तौड़गढ़ के टोर्निया और रतनपुरा गांव में छापेमारी कर दोनों आरोपी सुरेश कुमार गुर्जर (20) और राहुल कुमार गुर्जर (22) को गिरफ्तार कर लिया।
फर्जी अकाउंट बनाकर डालते थे रील, रुपये मिलते ही बंद हो जाता था नंबर
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि ये लोग इंस्टाग्राम पर नंबर प्रेडिक्शन जैसे नामों से इंस्टाग्राम पर अकाउंट बनाकर फर्जी रील्स डालते थे। पीड़ितों को टेलीग्राम ग्रुप में जोड़कर उन्हें शुरुआती निवेश के लिए राजी किया जाता था। फंसाने के लिए पहले छोटे निवेश पर बेहतर रिटर्न दिया जाता था, फिर बड़ी रकम निवेश करने के लिए दबाव बनाया जाता था। जैसे ही उन्हें बड़ी रकम मिल जाती थी, तो वे जिस नंबर से पीडित से बात होती थी उसे बंद कर देते थे। आरोपी सुरेश ने बताया कि उसे ऑनलाइन गेमिंग की लत थी, उसमें नुकसान के बाद उसने यह ठगी का रास्ता अपना लिया। इनके कब्जे से पुलिस ने ठगी में उपयोग सैमसंग ए24 अल्ट्रा और ओप्पो मोबाइल फोन बरामद की है। पुलिस की आगे की जांच जारी है, और ठगी के शिकार अन्य लोगों की पहचान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए पुलिस उन लोगों की पहचान कर रही है, जो इनके ग्रुप से जुड़े हुए थे। –