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झारखंड से लद्दाख तक फैले साइबर ठगी नेटवर्क का खुलासा, ऑनलाइन कोचिंग इंस्टीट्यूट के नाम पर की गई थी ठगी

तकनीकी निगरानी और वित्तीय लेनदेन की जांच से पता चला कि ठगी की राशि झारखंड के दुमका और गोड्डा जिलों के ग्रामीण मजदूरों के खातों में ट्रांसफर की गई थी। ये खाते उन ठेकेदारों की मदद से खोले गए थे, जिनके पास मजदूरों के एटीएम कार्ड और पासबुक मौजूद थे।

by Anurag Ranjan
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नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की साइबर सेल और क्राइम ब्रांच ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए झारखंड से लेकर लद्दाख के दुर्गम क्षेत्र सर्चू तक फैले साइबर ठगों के नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। इस ऑपरेशन में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जो मजदूरों के बैंक खातों का इस्तेमाल कर ठगी को अंजाम दे रहे थे।

ऑनलाइन कोचिंग इंस्टीट्यूट के नाम पर की गई थी ठगी

दिल्ली के क्राइम ब्रांच थाना में 2 सितंबर 2024 को एक महिला की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था। पीड़िता ने बताया कि 30 अप्रैल 2024 को एक अज्ञात व्यक्ति ने खुद को ऑनलाइन कोचिंग सेंटर का कर्मचारी बताकर उससे संपर्क किया और फिर उसके बैंक खाते से ₹69,953 की अवैध निकासी कर ली।

झारखंड के मजदूरों के बैंक खातों में ट्रांसफर हुई ठगी की रकम

तकनीकी निगरानी और वित्तीय लेनदेन की जांच से पता चला कि ठगी की राशि झारखंड के दुमका और गोड्डा जिलों के ग्रामीण मजदूरों के खातों में ट्रांसफर की गई थी। ये खाते उन ठेकेदारों की मदद से खोले गए थे, जिनके पास मजदूरों के एटीएम कार्ड और पासबुक मौजूद थे।

झारखंड में छापेमारी, दो आरोपी गिरफ्तार

पुलिस टीम ने गोड्डा और गोपीकंदर (झारखंड) में छापा मारकर रामजीत और बद्री राय को गिरफ्तार किया। जांच में सामने आया कि रामजीत के खाते में ₹20,005 और बद्री राय के एक्सिस बैंक खाते में पूरी ठगी की राशि ₹69,953 ट्रांसफर की गई थी।

लद्दाख में छिपे थे मुख्य आरोपी

रामजीत और बद्री राय से पूछताछ में पता चला कि उनके खाते मंसूर अंसारी और इमरान अंसारी नामक ठेकेदारों ने खुलवाए थे। दोनों आरोपी ठगी के बाद फरार होकर सर्चू, लद्दाख बॉर्डर पर जाकर छिप गए थे। क्राइम ब्रांच की टीम ने 800 किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर दोनों को गिरफ्तार कर लिया:

  • इमरान अंसारी (43), पाकुड़, झारखंड से
  • मंसूर अंसारी (55), दुमका, झारखंड से

ठगी का अनोखा तरीका: मजदूरों के खातों से होती थी रकम ट्रांसफर

पुलिस जांच में यह खुलासा हुआ कि आरोपी अशिक्षित मजदूरों को काम देने का झांसा देकर उनके बैंक खाते खुलवाते थे। बाद में उनके एटीएम और पासबुक अपने पास रखकर उन्हीं खातों का इस्तेमाल साइबर ठगी के लिए करते थे। वे अक्सर पुलिस की निगरानी से बचने के लिए लद्दाख जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में जाकर छिप जाते थे, जहां नेटवर्क और जमीनी हालात पुलिस कार्रवाई में बाधा बनते थे।

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