सेंट्रल डेस्क : बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा को अब Z श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जाएगी। गृह मंत्रालय ने खुफिया विभाग (IB) की रिपोर्ट के बाद यह फैसला लिया है। रिपोर्ट में दलाई लामा पर खतरे की आशंका जताई गई थी। इसके बाद सरकार ने उनकी सुरक्षा बढ़ाने का निर्णय लिया। अब उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) को दी गई है।
कौन हैं दलाई लामा?
सन 1935 में ल्हामो थोंडुप के रूप में जन्मे दलाई लामा को महज दो वर्ष की उम्र में तिब्बती धर्मगुरु का पुनर्जन्म माना गया। सन् 1940 में उन्हें 14वें दलाई लामा के रूप में मान्यता मिली।सन् 1950 में चीन ने तिब्बत पर हमला कर दिया, जिसके बाद सन् 1959 में दलाई लामा भारत आ गए। तब से वह हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में निर्वासन में रह रहे हैं। सन् 1989 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
दलाई लामा की सुरक्षा क्यों बढ़ाई गई?
भारत में रहते हुए भी दलाई लामा को कई बार सुरक्षा संबंधी खतरे मिले हैं। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, हाल के दिनों में यह खतरा और बढ़ गया था। इसी को ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय ने उनकी सुरक्षा को Y+ से Z श्रेणी में अपग्रेड कर दिया है।अब दलाई लामा की सुरक्षा में CRPF के कमांडोज़ तैनात रहेंगे। उनके काफिले में सशस्त्र गार्ड्स, बुलेटप्रूफ गाड़ियां और एडवांस्ड निगरानी सिस्टम शामिल होंगे।
भारत में दलाई लामा का प्रभाव
दलाई लामा केवल बौद्ध धर्मगुरु ही नहीं, बल्कि तिब्बती शरणार्थियों के प्रमुख नेता भी हैं। भारत में उनके हजारों अनुयायी हैं, और उनकी विचारधारा को दुनिया भर में सम्मान प्राप्त है। उनकी सुरक्षा को लेकर सरकार का यह फैसला उनके बढ़ते वैश्विक प्रभाव और सुरक्षा चिंताओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
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