नई दिल्ली : दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण (आईएंडएफसी) विभाग में 4 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का सनसनीखेज खुलासा किया है। फर्जी दस्तावेजों, जाली बैंक गारंटी और गैर-मौजूद कार्यों के आधार पर सरकारी धन की लूट का यह मामला सामने आने के बाद एक निलंबित कार्यकारी अभियंता और एक ठेकेदार को गिरफ्तार किया गया है। इस घोटाले ने विभागीय अनियमितताओं और प्रोटोकॉल की खुलेआम अवहेलना को उजागर किया है।
ज्वाइंट सीपी मधुर वर्मा ने बताया कि एसीबी की जांच में पता चला कि उत्तरी दिल्ली के सिरसपुर और बुरारी में सड़क और नाले के निर्माण के लिए 4.6 करोड़ रुपये से अधिक की राशि ठेकेदारों को दी गई, जबकि मौके पर कोई काम नहीं हुआ। ठेकेदारों ने 2.24 करोड़ रुपये की जाली परफॉर्मेंस बैंक गारंटी जमा की, जो किसी भी बैंक द्वारा जारी नहीं की गई थीं। जांच में सीपीडब्ल्यूडी वर्क्स मैनुअल, जीएफआर-2005 और सीवीसी दिशानिर्देशों के उल्लंघन भी सामने आए।
आईएंडएफसी विभाग की सतर्कता शाखा को मिली शिकायत के बाद विभाग के प्रधान सचिव ने इंजीनियरों की एक समिति गठित की। समिति की भौतिक जांच में पाया गया कि चार मामलों में निविदा की पूरी राशि का भुगतान किया गया, लेकिन कोई कार्य नहीं हुआ। एम/एस बाबा कंस्ट्रक्शन कंपनी को सिरसपुर में 5.3 करोड़ रुपये की तीन निविदाओं के लिए 4.2 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जबकि एम/एस अंबा कंस्ट्रक्शन को बुरारी में 38.98 लाख रुपये के कार्य के लिए 43.74 लाख रुपये दिए गए। दोनों ही मामलों में फर्जी सामग्री परीक्षण रिपोर्ट और हेरफेर किए गए माप रिकॉर्ड पाए गए।
एसीबी ने निलंबित कार्यकारी अभियंता गगन कुरेल और एम/एस बाबा कंस्ट्रक्शन के मालिक अरुण गुप्ता को गिरफ्तार किया है। ज्वाइंट सीपी ने बताया कि मूल माप पुस्तकें गायब थीं और अनिवार्य परीक्षण व प्रमाणन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। पुलिस अब अन्य संलिप्त अधिकारियों और निजी व्यक्तियों की भूमिका की जांच कर रही है। इस घोटाले में और गिरफ्तारियां संभावित हैं।