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दिल्ली पुलिस ने ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ सिंडिकेट का किया भंडाफोड़, 5 भारतीय अभियुक्त गिरफ्तार

अपने कॉन्टैक्ट के माध्यम से सैकड़ों खातों को खोला था, जिनकी जानकारी उसने इस चीनी फर्म को टेलीग्राम के जरिए दी थी।

by Reeta Rai Sagar
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नई दिल्ली| दिल्ली पुलिस ने एक चीनी कंपनी के लिए काम कर रहे पांच भारतीय ऑपरेटरों के ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ सिंडिकेट को पकड़ने में सफलता हासिल की है। यह कार्रवाई 8 दिसंबर 2024 को द्वारका निवासी 81 वर्षीय गोपाल द्वारा राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर 15 लाख रुपये के धोखाधड़ी की लेन-देन की शिकायत दर्ज करने के बाद की गई।

साइबर पुलिस स्टेशन, दक्षिण पश्चिम जिले की टीम ने चार अभियुक्तों इमरान कुरेशी, असद कुरेशी, देव सागर और जावेद को पहाड़गंज से गिरफ्तार किया। मुख्य अभियुक्त अभिषेक यादव को झांसी, यूपी से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने अभियुक्तों से 11 स्मार्टफोन, 6 एटीएम कार्ड, एक लैपटॉप और कई बैंक खाता चेकबुक भी जब्त किए हैं।

रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर को बनाया था निशाना

दिल्ली पुलिस ने एक ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें एक सेवानिवृत्त आर्मी अधिकारी से 15 लाख रुपये की ठगी की गई थी। इन पांच आरोपियों ने उन बैंक खातों को अपना निशाना बनाया, जिनमें लूटी गई रकम ट्रांसफर की गई थी। पुलिस के मुताबिक, कॉल करने वाले धोखेबाज चीनी मूल के थे।

वृद्ध अधिकारी को बताया गया था कि उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग केस में एक कोर्ट वारंट जारी हुआ है।
हालांकि, कानून में ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ जैसी कोई अवधारणा नहीं है, यह शब्द हाल के समय में एक प्रकार की साइबर ठगी को वर्णित करने के लिए इस्तेमाल होता है, जो धोखेबाजों द्वारा वीडियो कॉल के जरिए पीड़ितों को डराकर और धोखा देकर की जाती है।

नकली पुलिस या वकील करते है डिजिटल अरेस्ट

पीड़ितों को धमकी दी जाती है कि उनके खिलाफ पुलिस केस, वारंट या कोर्ट वारंट जारी हो गया है। धोखेबाजों ने जांच एजेंसियों जैसे प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के अधिकारियों का वेष धरकर खुद को प्रेजेंट करते है। डिजिटल अरेस्ट के तहत वे पूरे समय वीडियो ‘सर्विलांस’ के तहत पीड़ित को रखते हैं।

‘NCRP से विभिन्न राज्यों से 43 शिकायतों का लिंक’
इस मामले में, सेवानिवृत्त आर्मी अधिकारी ने 8 दिसंबर को नेशनल साइबरक्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर शिकायत दर्ज की थी, जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें मुंबई कोर्ट से मनी लॉन्ड्रिंग केस में एक नॉन-बेलिबल वारंट के बारे में कॉल आई थी।

रिटायर्ड अधिकारी से 15 लाख रुपये करवाए ट्रांसफर

डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (DCP साउथ वेस्ट) सुरेन्द्र चौधरी ने बताया कि “उन्हें व्हाट्सएप वीडियो सर्विलांस के तहत रखा गया, जबकि धोखेबाजों ने मामले की जांच करने का नाटक किया। आरोपी ने उनसे अपनी एक्सिस बैंक खाता से 15,00,000 रुपये ट्रांसफर करने को कहा और उन्हें आश्वासन दिया कि अगले दिन उनका पैसा ब्याज सहित उनके खाते में वापस कर दिया जाएगा। इसके बाद पीड़ित ने अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट को लिक्विडेट कर पैसे दे दिए,”

नागपुर से कहा गया था बैंक खाता खोलने

पुलिस ने पैसे को ट्रैक किया और DBS बैंक खाता धारक को नागपुर में ट्रैक किया। जांचकर्ताओं ने बताया कि खाता धारक, विराट रवींद्रजी कांबले ने बताया कि उसे यह खाता एक अन्य व्यक्ति ने नागपुर से खोलने के लिए कहा था। पैसे के ट्रैक का डिजिटल फूटप्रिंट निकाला गया और खुफिया जानकारी के आधार पर दिल्ली के पहारगंज क्षेत्र में छापेमारी की गई। इससे चार आरोपियों की गिरफ्तारी हुई, जिनकी पहचान इमरान कुरैशी, असद कुरैशी, देव सागर और जावेद के रूप में की गई।

अभिषेक यादव ने सिखाई थी, कैसे करते है डिजिटल अरेस्ट

जांचकर्ताओं के अनुसार, आरोपियों ने बताया कि वे पिछले पांच से छह महीनों से ऐसी धोखाधड़ी कर रहे थे। DCP चौधरी ने बताया कि NCRP पर विभिन्न राज्यों से 43 शिकायतें पाई गई हैं। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि एक अभिषेक यादव नाम के व्यक्ति ने उन्हें ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ की तकनीक से परिचित कराया था। हालांकि, यादव ने इन चारों आरोपियों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात नहीं की और केवल व्हाट्सएप के जरिए अंतरराष्ट्रीय नंबर से संपर्क किया।

क्रिप्टोकरेंसी में देता था पैसे

DCP चौधरी ने कहा कि अभिषेक यादव ने इन लोगों, खासकर असद और इमरान कुरैशी को बैंक खातों की व्यवस्था करने और सिम कार्ड खरीदने का काम सौंपा था। यादव उन्हें “मुले” बैंक खातों के जरिए UPI के माध्यम से पैसे भेजता था। “कभी-कभी वह एजेंटों के जरिए उन्हें नकद भेजता था। उन्हें क्रिप्टोकरेंसी USDT के रूप में बिनेंस खाते में कमीशन भी मिलता था.

टेलीग्राम के जरिए चीनी फर्म को भी दी थी जानकारी

मास्टरमाइंड यादव को भी मध्यप्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार किया गया। जांच में यह पाया गया कि उसने टेलीग्राम पर एक चीनी फर्म से संपर्क किया था और उसके निर्देशों पर काम करना शुरू किया था। DCP चौधरी ने कहा कि यादव ने अपने कॉन्टैक्ट के माध्यम से सैकड़ों खातों को खोला था, जिनकी जानकारी उसने इस चीनी फर्म को टेलीग्राम के जरिए दी थी।

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