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दिल्ली पुलिस ने अंतरराज्यीय नशीली दवा तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया: मास्टरमाइंड समेत 5 गिरफ्तार

टॉप टू बॉटम और बॉटम टू टॉप रणनीति से ट्रामाडोल और अल्प्राजोलम सप्लाई नेटवर्क ध्वस्त।

by Anurag Ranjan
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नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) ने संयुक्त कार्रवाई कर नशीली दवाओं के एक अंतरराज्यीय नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया है। इस ऑपरेशन में गिरोह के मास्टरमाइंड समेत 5 तस्करों को गिरफ्तार किया गया और 5 लाख रुपये से अधिक मूल्य की नशीली दवाएं, जिनमें 18,000 ट्रामाडोल गोलियां, 7,400 नाइट्राजेपम गोलियां, और 505 अल्प्राजोलम टैबलेट शामिल हैं, जब्त की गई हैं।

नरेला से हुई ऑपरेशन की शुरुआत

डीसीपी अपूर्वा गुप्ता के अनुसार, कार्रवाई की शुरुआत नरेला निवासी विकास (20) की गिरफ्तारी से हुई। उसके पास से 6,720 ट्रामाडोल कैप्सूल बरामद हुए। पूछताछ में खुलासा हुआ कि ये दवाएं गन्नौर, सोनीपत के मेडिकल स्टोर मालिक सुधीर (43) से खरीदी गई थीं। सुधीर की दुकान से भी अल्प्राजोलम और ट्रामाडोल कैप्सूल बरामद किए गए।

मास्टरमाइंड ‘नीटू’ गिरफ्तार

जांच में पता चला कि गिरोह का मास्टरमाइंड सुनील कुमार भारद्वाज उर्फ नीटू (50)  है। नीटू को 5 अप्रैल को नरेला से गिरफ्तार किया गया। नीटू ने दवाएं संगम विहार के अजीत उर्फ जीतू (32) से खरीदी थीं। जीतू एक MBA ग्रेजुएट है, जिसे 8 अप्रैल को तिलक मार्ग से पकड़ा गया। उसके पास से 69,500 रुपये नकद और भारी मात्रा में नशीली दवाएं मिलीं।

गोरखपुर से होती थी दवाओं की आपूर्ति

पूछताछ में जीतू ने खुलासा किया कि उसने दवाएं गोरखपुर निवासी अंबर अग्रहारी उर्फ पांडे (43) से खरीदी थीं। पांडे को 13 अप्रैल को पहाड़गंज के एक होटल से गिरफ्तार किया गया। उसके पास से 1,16,000 रुपये नकद मिले। पांडे गोरखपुर में अपने सहयोगी सुरेंद्र नाथ पांडे के साथ दो मेडिकल स्टोर चलाता था और दवाएं बस के जरिए दिल्ली भेजता था।

गिरोह की कार्यप्रणाली: वैध बिल पर खरीद, अवैध तरीके से बिक्री

पुलिस जांच में सामने आया कि यह गिरोह बिल के जरिए गोरखपुर से दवाएं खरीदता था और फिर उन्हें दिल्ली जैसे बड़े शहरों में ऊंचे दामों पर बेचता था। इस गिरोह का नेटवर्क दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश तक फैला हुआ था।

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