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Asrani Dhanbad Connection Sholay Dialogue : धनबाद से जुड़ी हैं अभिनेता असरानी की खास यादें, भीड़ को “शोले” मशहूर डायलॉग बोलकर भीड़ को दिया था अपने असली होने का प्रमाण

Asrani Dhanbad Connection Sholay Dialogue : 2011 में बांग्ला फिल्म 'परिवर्तन' की शूटिंग के लिए आए थे पंचेत, देखने के लिए उमड़ी थी हजारों की भीड़

by Anand Mishra
Bollywood actor Asrani’s special connection with Dhanbad; proved his identity to the crowd by reciting his famous “Sholay” dialogue.
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Dhanbad (Jharkhand) : दिग्गज फिल्म अभिनेता असरानी भले ही अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन झारखंड के धनबाद जिले से सटे पंचेत क्षेत्र के लोगों के जेहन में उनकी यादें आज भी ज़िंदा हैं। असरानी की मौत से इस क्षेत्र के लोग गहरे सदमे और मर्माहत हैं, क्योंकि पंचेत से उनकी कई खास और यादगार पल जुड़े हुए हैं।

यह बात वर्ष 2011 की है, जब असरानी बांग्ला फिल्म “परिवर्तन” की शूटिंग के लिए पहली बार पंचेत आए थे। उस समय उन्हें देखने के लिए हजारों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। शताब्दी राय और तापस पाल द्वारा निर्मित इस फिल्म की शूटिंग पंचेत डैम की खूबसूरत वादियों और काशीपुर महाराज के किले में हुई थी।

भीड़ ने कहा ‘डुप्लिकेट’, तब असरानी ने दिया था ‘असली’ होने का सबूत

जब असरानी पंचेत पहुँचे, तो स्थानीय लोगों को सहज विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वह असली असरानी हैं। क्षेत्र में यह अफवाह जोरों से फैल गई थी कि वहाँ डुप्लिकेट असरानी आए हैं। इसके बाद, उत्साहित भीड़ ने असरानी से आग्रह किया कि अगर वह असली अभिनेता हैं, तो अपना चर्चित डायलॉग सुना दें। लोगों के आग्रह पर, असरानी ने मशहूर हिन्दी फिल्म ‘शोले’ का उनका आइकॉनिक डायलॉग बोला, “हम अंग्रेजों के ज़माने के जेलर हैं, हम नहीं सुधरेंगे तो तुम क्या सुधरोगे!” इस डायलॉग को सुनकर लोगों ने खूब तालियाँ बजाईं और उनकी तारीफ की, जिससे उन्हें विश्वास हो गया कि पंचेत क्षेत्र में आए कलाकार असली असरानी ही हैं।

मछुआरे बाबू धीवर को आज भी याद है शूटिंग का सीन

पंचेत के मछुआरे बाबू धीवर आज भी असरानी के साथ बिताए उन पलों को याद कर रोमांचित हो जाते हैं। उन्हें सहज विश्वास नहीं हो रहा कि वह अद्भूत कलाकार अब दुनिया में नहीं रहे। बाबू धीवर बताते हैं कि फिल्म ‘परिवर्तन’ के एक दृश्य में, अभिनेत्री को बचाने के क्रम में अभिनेता डैम के पानी में डूबने लगता है। तभी असरानी वहाँ पहुँच जाते हैं और पास खड़े मछुआरा बाबू धीवर से अभिनेता को बचाने का आग्रह करते हैं। बाबू धीवर ने अभिनेता को डूबने से बचाया था, और उन्हें वह सीन आज भी याद है।

बाबू धीवर कहते हैं कि, “जिस आदमी (असरानी) के डायलॉग को बचपन से सुना था, उन्हें सामने से देखने का मौका मिला था। वह अद्भूत कलाकार थे। भले ही वह अब इस दुनिया में नहीं रहे, मगर उनकी यादें हमेशा दिल में रहेंगी।” इस फिल्म की शूटिंग के दौरान ही असरानी की मुलाकात पंचेत आईबी में डीवीसी के तत्कालीन परियोजना प्रमुख अनिमेष मुखर्जी (अब स्वर्गीय) से भी हुई थी, जिनके साथ बैठकर उन्होंने चाय पी थी। स्नेक सेवर मुबारक अंसारी ने भी असरानी से पंचेत के निरीक्षण भवन में मुलाकात की थी और उन्हें एक अच्छे अभिनेता के साथ-साथ अच्छे इंसान के रूप में याद किया।

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