नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में सर्दियों में धुंध और प्रदूषण की शुरुआत से पहले ही दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) में आज से 1 जनवरी, 2025 तक पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यह प्रतिबंध हर साल लगाया जाता है, हालांकि इस बार जल्दी घोषणा करने से व्यापारियों को बिना बिके स्टॉक से होने वाले नुकसान से बचने में मदद मिल सकती है, जो कि अंतिम समय में की जाने वाली घोषणाओं के खिलाफ एक आम शिकायत है।
क्या कहा दिल्ली के पर्यावरण मंत्री ने?
राज्य के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में सर्दियों में हमेशा वायु प्रदूषण में ज्यादा वृद्धि होती है और आतिशबाजी से यह और भी बढ़ जाता है। उन्होंने कहा, “पिछले साल की तरह, हम सभी प्रकार के पटाखों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रहे हैं। राज्य के अंदर किसी भी प्रकार के पटाखों की ऑनलाइन डिलीवरी या बिक्री पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगाया गया है।”
पटाखों पर प्रतिबंध की शुरुआत सरकार द्वारा साल 2017 से की गयी थी, जो कि उस साल से विफल रहा था। दिवाली के समय कई कारणों की वजह से दिल्ली की वायु गुणवत्ता खराब हो जाती है। पटाखों से होने वाले नुकसान और एनसीआर में सांस लेने में होने वाली समस्या हर साल आती रही है। हालांकि पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण इसे और भी खतरनाक बना देता है। साथ ही क्षेत्र में सड़क/निर्माण की महीन धूल और सर्दियों में होने शुष्क मौसम से दोनों ही बढ़ जाते हैं। लेकिन क्या यह प्रतिबंध दिल्ली के इस प्रदूषण के प्रभाव को कम कर पाएगा, यह देखना अभी बाकी है।
सख्त प्रतिबंध पर आती है समस्याएं
पटाखों पर लगा यह बैन, कई लोग अनदेखा भी कर देते हैं, एवं इस प्रतिबंध का उपयोग यह कहानी बनाने के लिए भी किया जाता है कि सरकार एक हिंदू त्योहार को निशाना बना रही है। हालांकि विक्रेता और खरीदार दोनों पर भारी जुर्माना लगाने से पटाखों के इस्तेमाल को कम किया जा सकता है, लेकिन बहुत से लोग प्रतिबंध का विरोध करते हैं, और यह धार्मिक मुद्दा भी बन जाता है, इसलिए इसे बहुत सख्त नहीं किया जा सकता है। इसीलिए इस प्रतिबंध के उदेश्य को सफल बनाने के लिए, केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करने की जरुरत है। जिसमे जनता भी अपना सहयोग दे।