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चाईबासा में कांग्रेस ने डॉ. कलाम को दी श्रद्धांजलि, बताया-एक दूरदर्शी वैज्ञानिक और युवाओं का प्रेरणास्रोत

by Anand Mishra
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Chaibasa (Jharkhand) : पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) जिला, झारखंड: रविवार को चाईबासा में भारत के पूर्व राष्ट्रपति, महान वैज्ञानिक और भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि अत्यंत श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। चाईबासा स्थित कांग्रेस भवन में आयोजित एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि सभा में उन्हें याद किया गया। इस अवसर पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने डॉ. कलाम के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और दो मिनट का मौन रखकर उनके अतुलनीय योगदान को स्मरण किया।

डॉ. कलाम: एक वैज्ञानिक से बढ़कर एक राष्ट्र निर्माता

श्रद्धांजलि सभा के दौरान, उपस्थित सभी लोगों ने डॉ. कलाम के असाधारण जीवन, उनके कार्यों और राष्ट्र निर्माण में उनके अमूल्य योगदान पर विस्तार से चर्चा की। कांग्रेस जिला प्रवक्ता त्रिशानु राय ने डॉ. कलाम के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे केवल एक वैज्ञानिक नहीं थे, बल्कि एक दूरदर्शी नेता, एक आदर्श नागरिक और लाखों युवाओं के लिए सच्चे मार्गदर्शक भी थे। राय ने जोर देकर कहा कि डॉ. कलाम की सोच, उनकी सादगी और राष्ट्र के प्रति उनका अद्वितीय समर्पण आज भी पूरे देश के लिए प्रेरणा का एक अखंड स्रोत है।

उन्होंने विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में डॉ. कलाम के अतुलनीय योगदान को विशेष रूप से रेखांकित किया। त्रिशानु राय ने बताया कि कैसे डॉ. कलाम ने भारत के रक्षा अनुसंधान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और देश को मिसाइल टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने धर्म, जात-पात और राजनीतिक सीमाओं से ऊपर उठकर केवल राष्ट्रहित को ही सर्वोपरि माना। उनका जीवन सचमुच “सादा जीवन, उच्च विचार” का एक जीवंत उदाहरण था।

उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

इस श्रद्धांजलि सभा में विभिन्न कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं की गरिमामयी उपस्थिति रही। इनमें कांग्रेस शिक्षा विभाग के जिला चेयरमैन पुरुषोत्तम दास पान, नगर अध्यक्ष मो. सलीम, उपाध्यक्ष सुभाष राम तुरी और मो. एहसान, महासचिव बिजय सिंह, वरीय नेता संतोष सिन्हा, नंद गोपाल दास, सुशील दास, हरि बिरुली और मो. जाबिर सहित कई अन्य पार्टी कार्यकर्ता शामिल थे। सभी ने मिलकर डॉ. कलाम की स्मृति को नमन किया और उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया। यह आयोजन न केवल डॉ. कलाम को एक श्रद्धांजलि थी, बल्कि उनकी महान विरासत और राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण को याद करने का एक सशक्त माध्यम भी था।

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