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Manoharpur Water Crisis : पेयजल को लेकर मनोहरपुर में ग्रामीणों ने किया सड़क जाम, लिखित आश्वासन मिलने के बाद जाम हटा

Drinking Water Issue : सड़क जाम की सूचना मिलते ही मनोहरपुर बीडीओ शक्ति कुंज, सीओ प्रदीप कुमार और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारियों ने घटनास्थल पहुंचे। वार्ता के दौरान एक माह में समस्या का हल निकालने के लिखित आश्वासन दिया। इसके तकरीबन दो घंटे बाद जाम हटा।

by Anurag Ranjan
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मनोहरपुर : भीषण गर्मी में पेयजल की समस्या को लेकर मनोहरपुर प्रखंड अंतर्गत सारंडा के गंगदा पंचायत के ग्रामीणों ने सलाई गांव के चौक पर मनोहरपुर – चाईबासा मार्ग को जाम कर दिया। प्रदर्शनकारी डेगची में कोयना नदी का लाल पानी लिए हुए थे। सड़क अवरुद्ध कर दिए जाने से दोनों तरफ वाहनों का लंबा जाम लग गया। इससे लोगों को आवाजाही में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

सड़क जाम की सूचना मिलते ही मनोहरपुर बीडीओ शक्ति कुंज, सीओ प्रदीप कुमार और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अधिकारियों ने घटनास्थल पहुंचे। वार्ता के दौरान एक माह में समस्या का हल निकालने के लिखित आश्वासन दिया। इसके तकरीबन दो घंटे बाद जाम हटा। इस मौके पर पंचायत के मुखिया सुखराम उर्फ राजू सांडिल, मुकेश दास, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सहायक अभियंता समीर डुंगडुंग, जेई मंजीत भगत, मुकेश दास, मंगल कुम्हार, बुधराम मुंडा, बागी चांपिया, रूईदास सोरेन, इंदा जामुदा, राजू कुम्हार, मनसा पूर्ति, सुनीता देवी, लबीना पूर्ति, लक्ष्मी चेरोवा, नीलमणि सांडिल के अलावा पंचायत के 14 गांवों के काफी संख्या में लोग मौजूद थे।

15 करोड़ रुपए की जलापूर्ति योजना सफेद हाथी

ग्रामीणों ने प्रशासन को बताया कि पंचायत के दोदारी गांव में तकरीबन 15 करोड़ रुपए की लागत से वर्ष 2017-2018 में जलापूर्ति योजना का काम शुरू किया गया था। लेकिन आठ साल बीत जाने के बाद भी आज तक चार गांवों के कुछ घरों में ही जलापूर्ति की जा रही है। बाकी 10 गांवों के ग्रामीणों के घरों में आज तक पानी का कनेक्शन नहीं दिया गया है। ना ही गांवों में पाईप लाईन बिछाई गई है। इसके कारण गंगदा पंचायत के ग्रामीणों को पेयजल से संबंधित नलकूप, डीप बोरिंग एवं सोलर जलमीनार की कोई सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। इसे लेकर 14 मार्च 2022 को सलाई चौक पर सड़क जाम किया गया था।

तब तत्कालीन कार्यपालक अभियंता ने वार्ता के बाद गंगदा पंचायत की पाइपलाइन के कार्य को दो स्टेप में कराने की बात कही गई थी। मगर वादे के मुताबिक तीन वर्ष बीत गए पर कार्य पूर्ण नहीं हुआ। ग्रामीणों ने इस योजना में गड़बड़ी और बंदरबांट की आशंका जाहिर करते हुए मांग की है कि जलापूर्ति योजना की उच्च स्तरीय जांच सीबीआई, उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश या स्वतंत्र एजेंसी से कराकर दोषी विभागीय अधिकारी व ठेकेदार के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए।

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