Dumka (Jharkhand) : एआई (AI) अब कंप्यूटर और गैजेट्स पर कमाल दिखाने के साथ ही मानव मस्तिष्क में भी हरियाली भरेगा। आदमी के दिमाग को हरा-भरा करने के साथ ही वनों और पर्यावरण की रक्षा के प्रति जागरूक करेगा। शायद अब आप मतलब समझ गए होंगे। क्योंकि यह वन विभाग के एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम ‘टेक लीफ’ से जुड़ा है। इस कार्यक्रम में इच्छुक व्यक्ति आसानी से हिस्सा ले सकते हैं।
दरअसल, झारखंड के दुमका जिला स्थित आउटडोर स्टेडियम के निकट झार मधु केंद्र परिसर में वन विभाग की ओर से पांच से छह दिसंबर तक यह आयोजन किया गया है। इसका उद्देश्य वनों के संरक्षण और इसे हरा-भरा बनाए रखने में जन सहभागिता के साथ ही तकनीक के इस्तेमाल पर आपसी संवाद स्थापित करना है।
कोई भी हो सकते हैं शामिल
इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए निबंधन की प्रक्रिया को काफी सहज रखा गया है। इसके लिए मोबाइल नंबर 8002109227 पर किसी भी आयु वर्ग के इच्छुक व्यक्ति मिस्ड काल देकर निबंधन करा सकते हैं। खास बात यह है कि इस कार्यक्रम के माध्यम से सीधे धरातल पर हरियाली लाने व वनों को बचाने के बजाए मनुष्यों को दिमागी तौर पर हरा-भरा बनाने की पहल की जाएगी। विभाग की ओर से बताया गया है कि तकनीक के जरिए पहले मनुष्यों के मन-मस्तिष्क को पर्यावरण फ्रेंडली बनाया जाएगा और तब इनके जरिए वनों के संरक्षण और इसकी हरियाली को बरकरार रखने की पहल की जाएगी।
एआई व डिजिटल माध्यमों का सहारा
इसके लिए एआई तकनीक और डिजिटल माध्यमों का सहारा लिया जाएगा। वन विभाग की ओर से इस दो दिवसीय आयोजन में खास तौर पर स्कूल व कालेजों के छात्र-छात्राओं को आमंत्रित किया जाएगा। इसके पीछे मंशा यह कि छात्र व युवा को तकनीक से जोड़ कर प्रकृति से जोड़ा जाए और इसके प्रति इन्हें संवेदनशील बनाया जाए।
आपसी संवाद स्थापित करने की होगी पहल
दुमका वन प्रमंडल की ओर से पहली बार आयोजित होने वाली दो दिवसीय टेक लीफ आयोजन के दौरान न्यूरो नेचर, द साउंड आफ नेचर, डिजिटल फ्लिप बुक, एआई फोटो बूथ और रन टू हिल द प्लानेट जैसे मुद्दों पर आपसी संवाद स्थापित करने की पहल होगी। आयोजन की विशिष्टता यह कि तकनीकी व प्रकृति एक ऐसा अनुभव प्रदान करेगा जो बिल्कुल आधुनिक युग का होगा। डिजिटल फ्लिप के अनुभव के जरिए प्रकृति की कहानियां हाथों के एक इशारे से महसूस कराया जाएगा।
न्यूरो नेचर का एहसास महसूस
न्यूरो नेचर के जादू को महसूस कराने के लिए शांत मन को आभासी वास्तविकता से भरे जंगल को खिलाने का एहसास कराएगा। आवाज से जंगल को जीवित करने का अनुभव कराएगा। एआइ फोटो बूथ जो सेकंड में सिनेमा की तरह प्राकृतिक थीम जेनरेट कराने का अनुभव कराएगा।
प्रकृति की रक्षा में तकनीक से कई तरह से सहायक : डीएफओ
दुमका वन प्रमंडल के डीएफओ सात्विक व्यास ने कहा कि तकनीक ने प्रकृति की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण मार्ग प्रशस्त किए हैं। यह हमें पर्यावरण की निगरानी करने, संसाधनों को अधिक कुशलता से प्रबंधन करने और स्थायी समाधान विकसित करने में मदद करती है। इसी को ध्यान में रखकर दुमका में पहली बार तकनीक आधारित दो दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है ताकि प्रकृति के साथ भविष्य की सोच को जोड़ा जा सके।
प्रकृति से ऐ्रसे जोड़ रही तकनीक
- निगरानी और डेटा संग्रह के लिए रिमोट सेंसिंग
- इंटरनेट आफ थिंग्स सेंसर के जरिए महत्वपूर्ण पर्यावरणीय डाटा संग्रह
- वन्यजीव ट्रैकिंग के लिए जीपीएस टैग और कैमरा ट्रैप का इस्तेमाल
- स्मार्ट कृषि प्रबंधन
- नवीकरणीय ऊर्जा के जरिए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन पर अंकुश
- अपशिष्ट प्रबंधन के लिए एआइ और रोबोटिक्स का इस्तेमाल
- संरक्षण और बहाली के प्रयास की दिशा में आनुवंशिक और डीएनए विश्लेषण
- प्रदूषण निवारण के लिए तकनीकी नवाचार
- क्लाउड कंप्यूटिंग और एआइ के जरिए जटिल पारिस्थितिक पैटर्न को समझने की पहल।

