झारखंड: जिले में जल जीवन मिशन (JJM) के तहत बड़े पैमाने पर अनियमितता और घोटाले के मामले की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत इस घोटाले की छानबीन करते हुए झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर के भाई विनय कुमार ठाकुर और उनके निजी सचिव हरेंद्र कुमार को समन भेजा है। इन दोनों से अगले हफ्ते पूछताछ की जाएगी।
ईडी ने इस मामले में पिछले 14 अक्टूबर को विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें मंत्री ठाकुर के करीबी लोगों समेत कई अन्य व्यक्तियों के 18 ठिकानों पर एक साथ जांच की गई। इन छापों के दौरान कई दस्तावेज और साक्ष्य मिले, जिनके आधार पर एजेंसी अब आगे की पूछताछ के लिए महत्वपूर्ण व्यक्तियों को बुला रही है। इस मामले की जड़ में जल जीवन मिशन के तहत हुए करोड़ों रुपयों का घोटाला शामिल है, जिसमें झारखंड के कई जिलों में सरकारी निधियों का दुरुपयोग और अनियमितताएं सामने आई हैं।
करोड़ों रुपये की निकासी और भ्रष्टाचार की शिकायतें
इस घोटाले की शुरुआत जल जीवन मिशन के विभाग में हुए 23 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से हुई थी, जिसमें विभाग के कैशियर संतोष कुमार मुख्य आरोपी माने गए हैं। संतोष कुमार पर इस धनराशि को गलत तरीके से अपने खाते में डालने का आरोप है, और इस मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। इसके अलावा राज्य के विभिन्न जिलों से इस योजना में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही हैं, जिसके चलते कई स्थानों पर एफआईआर भी दर्ज हुई है।
ईडी ने इन एफआईआर को आधार बनाकर अपनी जांच तेज की है। इस मामले में मंत्री मिथिलेश ठाकुर का नाम भी संदेह के घेरे में आ सकता है, क्योंकि राज्य में हेमंत सोरेन सरकार में वह एक प्रभावशाली मंत्री माने जाते हैं। मिथिलेश ठाकुर ने 2019 के विधानसभा चुनाव में गढ़वा सीट से जीत हासिल की थी और तभी से वह राज्य सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ईडी की जांच की आंच उनके तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है।
राज्य की प्रतिष्ठित योजना पर संकट
जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने का उद्देश्य था, लेकिन इस मामले ने योजना पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। झारखंड के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की पुष्टि होने पर राज्य सरकार की छवि को नुकसान पहुंच सकता है। इस घटना के बाद राज्य सरकार पर भी दबाव बढ़ गया है, जिससे यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ईडी की आगामी जांच में और क्या खुलासे होते हैं।