रांची : झारखंड की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के दावे मंत्री से लेकर अधिकारी तक कर रहे हैं, लेकिन राज्य के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल रिम्स की व्यवस्था नहीं सुधार पा रहे हैं। यह तब है, जब राज्य में सबसे ज्यादा मरीज इलाज के लिए इस हॉस्पिटल में आते हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि रिम्स की डिस्पेंसरी में मात्र 18 तरह की दवा ही उपलब्ध है। वहीं, सदर अस्पताल की डिस्पेंसरी में इससे चार गुना अधिक दवा अवेलेवल है। बता दें कि डिस्पेंसरी से ओपीडी के मरीजों को फ्री दवा दी जाती है।
रिम्स में नहीं है डिस्प्ले बोर्ड
रिम्स में पुरानी इमरजेंसी के सामने ही डिस्पेंसरी दवा वितरण केंद्र के नाम से चल रही है। जहां पर पहले बोर्ड और लिस्ट भी लगी थी। लेकिन अब वहां पर न तो बोर्ड लगा है और न ही दवा की लिस्ट। जिससे मरीजों को पता नहीं चल पाता कि यहां पर दवा बिना किसी चार्ज के उपलब्ध कराई जाती है। वहीं इसके प्रचार प्रसार को लेकर प्रबंधन भी गंभीर नहीं है। शायद यही वजह है कि डिस्पेंसरी में 18 दवा ही दी जा रही है।
हर दिन आते हैं 2500 मरीज
बता दें कि रिम्स के ओपीडी में हर दिन 2000 से अधिक मरीज आते हैं। इसके अलावा इमरजेंसी में भी 500 के करीब मरीज हर दिन इलाज के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में डिस्पेंसरी में मात्र 18 दवा मरीजों के साथ नाकाफी है, जबकि हॉस्पिटल का सालाना बजट 800 करोड़ का है। इसके अलावा भी हॉस्पिटल को सरकार की ओर से मदद मिलती है।
सदर में 78 दवा का स्टॉक
सदर हॉस्पिटल में लगातार सुविधा बढ़ाई जा रही है। वहीं दवाओं का स्टॉक भी बढ़ रहा है। डिस्पेंसरी में फिलहाल 78 दवाओं का स्टॉक है, जिसमें एंटीबायोटिक से लेकर गैस की मामूली दवा भी है। इसके अलावा सिरप और टैबलेट्स की भरमार है। डॉक्टर भी वही दवा मरीजों को लिख रहे हैं, जो डिस्पेंसरी में उपलब्ध है। इससे मरीजों की जेब पर बोझ नहीं पड़ रहा है। सदर अस्पताल के ओपीडी में हर दिन 1000 से अधिक मरीज आ रहे हैं। वहीं इमरजेंसी में भी सैंकड़ों मरीज इलाज को पहुंच रहे हैं।
1700 मरीज सदर में आते हैं हर दिन
सदर हॉस्पिटल में भी सुविधा बढ़ रही है। वहां मरीजों की संख्या में भी बड़ा इजाफा हो रहा है। ओपीडी और इनडोर मिलाकर 1700 मरीज हर दिन पहुंच रहे हैं। जबकि, सदर का सालाना बजट भी करोड़ों में नहीं है। इसके बावजूद वहां मरीजों को मुफ्त दवा डिस्पेंसरी में दी जा रही है।
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