पटना: बिहार सरकार अब चारा घोटाले के 950 करोड़ रुपये की वसूली के लिए सक्रिय हो गई है, जो अब तक राज्य के खजाने में नहीं लौट पाई है। इस घोटाले में करोड़ों रुपये का गबन किया गया था। इस घोटाले के दोषी नेताओं में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव भी शामिल थे। हालांकि, इस मामले में सीबीआई की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई थी, और अब बिहार सरकार ने इस राशि को वापस लाने के लिए नए उपायों पर विचार करना शुरू कर दिया है।

सरकार गंभीरता से सुनिश्चित करेगी राशि की वापसी:सम्राट
बिहार सरकार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि सरकार पूरी गंभीरता से यह सुनिश्चित करना चाहती है कि गबन हुई राशि राज्य के खजाने में वापस आए। उन्होंने कहा, “सरकार सभी पहलुओं को देख रही है, ताकि घोटाले की राशि बिहार सरकार को मिल सके। इसके लिए कोर्ट जाने और अन्य एजेंसियों से संपर्क करने पर विचार किया जा रहा है।”
1996 में सामने आया था बिहार चारा घोटाला:
चारा घोटाले का मामला 1996 में सामने आया था, जब पटना हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सीबीआई ने इसकी जांच शुरू की थी। अदालत ने न केवल दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया था, बल्कि यह भी निर्देश दिया था कि घोटाले में गबन की गई राशि बिहार सरकार के खजाने में वापस लाई जाए। हालांकि, इस मामले में सीबीआई कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई, जिससे राशि की वसूली में कोई प्रगति नहीं हो पाई।
सम्राट चौधरी के अनुसार, चुनावी साल में एक बार फिर से बिहार सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है और इसे वापस लाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
लालू यादव को गंवानी पड़ी थी कुर्सी:
चारा घोटाले ने राष्ट्रीय स्तर पर काफी हलचल मचाई थी। इस घोटाले के कारण लालू यादव को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी तक गंवानी पड़ी थी। हालांकि, इतने बड़े पैमाने पर राशि का गबन होने के बावजूद सीबीआई उसे वापस लाने में पूरी तरह विफल रही है। सम्राट चौधरी ने कहा, “सरकार इस मामले में अदालत तक जा सकती है और सीबीआई को पत्र लिखने के साथ-साथ अन्य उपायों पर भी विचार करेगी।”
घोटाले का पर्दाफाश और राजनेताओं की भूमिका:
चारा घोटाले के उजागर होने में कई लोगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद रवि शंकर प्रसाद, झारखंड के विधायक सरयू राय और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का नाम प्रमुख है। इन नेताओं ने घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई और दोषियों को सजा दिलवाने में मदद की।
गरीब जनता का पैसा ठगने वालों के खिलाफ कार्रवाई:
बिहार सरकार के मंत्री नितिन नवीन ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, “गरीब जनता का पैसा ठगा गया था। सरकार अब उस राशि को वापस लाने के लिए कड़े कदम उठाने जा रही है। सरकार संपत्तियों को कानूनी तरीके से अपने कब्जे में लेने की योजना बना रही है। किसी भी कीमत पर सरकार यह राशि वापस लेकर रहेगी।”
50 केस हुए थे दर्ज, 17 साल तक चलता रहा मामला:
चारा घोटाला, जो 1996 में सामने आया, बिहार की राजनीति के सबसे बड़े घोटालों में से एक था। इस मामले में कुल 50 केस दर्ज किए गए थे। 1997 में सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल किया था, जिसके बाद लालू यादव को इस्तीफा देना पड़ा और उनकी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी गई थी। इस मामले में लगभग 17 साल तक सुनवाई चली, और 3 अक्टूबर 2013 को लालू यादव को 3 साल 6 महीने की सजा सुनाई गई थी। बाद में 24 जनवरी 2018 को उन्हें तीसरे मामले में 5 साल की सजा दी गई, और कुल मिलाकर उन्हें साढ़े 13 साल की सजा हुई थी।
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