सीतामढ़ी : बिहार के सीतामढ़ी जिले में शिक्षक बहाली से जुड़ा एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिससे शिक्षा व्यवस्था की पारदर्शिता और निगरानी तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सुरसंड प्रखंड के मध्य विद्यालय राधाउर में कार्यरत शिक्षक हितनारायण ठाकुर को फर्जी अंकपत्र और डिप्लोमा के आधार पर 17 साल पहले नौकरी हासिल करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है।
फर्जी डिग्री का इस्तेमाल कर दो जिलों में हुई थी नियुक्ति
जांच में खुलासा हुआ कि हितनारायण ठाकुर ने असम के SCERT (स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) से बेसिक टीचर ट्रेनिंग डिप्लोमा का जाली सर्टिफिकेट लेकर वर्ष 2008 में बथनाहा प्रखंड (सीतामढ़ी) से शिक्षक के रूप में नियुक्ति ली थी। इसके बाद 2012 में इसी फर्जी दस्तावेज के आधार पर किशनगंज जिले में 34,540 शिक्षक कोटि के तहत पुनः नियुक्ति प्राप्त की थी।
बाद में तबादला कराकर सुरसंड में कार्यरत हुआ आरोपी
बाद में आरोपी शिक्षक ने ट्रांसफर कराकर सुरसंड प्रखंड में नौकरी शुरू की। निगरानी अन्वेषण ब्यूरो, मुजफ्फरपुर और एक निजी शिकायतकर्ता की शिकायत पर बथनाहा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई, जिसके बाद यह संपूर्ण फर्जीवाड़ा सामने आया।
पोर्टल डेटा और दस्तावेज से फर्जीवाड़े की पुष्टि
एडिशनल एसपी आशीष आनंद ने बताया कि शिक्षा विभाग की ओर से उपलब्ध पोर्टल डेटा और दस्तावेजों के सत्यापन में पुष्टि हो गई कि आरोपी द्वारा प्रस्तुत सभी प्रशिक्षण प्रमाणपत्र फर्जी थे। इसके आधार पर पुलिस ने आईपीसी की कई धाराओं में मामला दर्ज कर आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
जांच में कई और नाम सामने आने की संभावना, बड़े घोटाले का संकेत
पुलिस और निगरानी ब्यूरो का मानना है कि इस फर्जीवाड़े में और भी लोग शामिल हो सकते हैं, जो या तो फर्जी नियुक्ति प्रक्रिया में सहभागी रहे हैं या दस्तावेज सत्यापन में लापरवाही बरती है। घोटाले के नेटवर्क की जांच के लिए अब व्यापक स्तर पर जांच तेज कर दी गई है।


