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श्रमिकों के साथ जालसाजी करने वाले नियोजकों पर प्राथमिकी दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला

by Vivek Sharma
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रांची : CM हेमन्त सोरेन के आदेश के बाद कैमरून में फंसे झारखंड के श्रमिकों के लंबित वेतन का भुगतान शुरू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर श्रमायुक्त ने जालसाजी और श्रमिकों के वेतन रोकने के आरोप में हजारीबाग, बोकारो और गिरिडीह के नियोजकों, नियोक्ताओं और मिडिलमैन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। इन पर आरोप है कि उन्होंने बिना कानून का पालन किए और बिना लाइसेंस प्राप्त किए झारखंड के 47 प्रवासी श्रमिकों को गैरकानूनी तरीके से मध्य अफ्रीका के कैमरून भेजा। मामला तब सामने आया जब मुख्यमंत्री को जानकारी मिली कि कैमरून में कार्यरत झारखंड के श्रमिकों के तीन महीने का वेतन लंबित है और वे भारत वापसी की मांग कर रहे है।

कार्रवाई का दिया निर्देश

मुख्यमंत्री ने इस पर त्वरित कार्रवाई के निर्देश दिए, जिसके बाद राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने संबंधित कंपनी से संपर्क किया। कंपनी ने जानकारी दी कि श्रमिकों को 100 डॉलर प्रति माह का भुगतान किया गया था और बाकी बकाया राशि भारतीय खातों में ट्रांसफर की जाएगी। श्रमायुक्त के निर्देश पर राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने कंपनी से अनुबंध की प्रति, वेतन भुगतान की जानकारी और अन्य दस्तावेज़ मांगे हैं। इसके अलावा भारत सरकार के उच्चायोग और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने भी सूचित किया है कि श्रमिकों की सुरक्षित वापसी के प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही ये निर्देश दिया गया है कि यदि ठेकेदार वेतन भुगतान में असफल होते हैं तो उनके साथ किए गए समझौते को रद्द कर दिया जाएगा।

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