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RANCHI NEWS: रिम्स में लगी आग तो हो जाएगा खाक, एक्सपायर हो गए ज्यादातर फायर एक्सटिंग्विशर

by Vivek Sharma
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VIVEK SHARMA 

रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल रिम्स की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। अस्पताल परिसर में फायर सेफ्टी को लेकर गंभीर लापरवाही सामने आई है। हॉस्पिटल में लगे अधिकांश फायर एक्सटिंग्विशर एक्सपायर हो चुके हैं। इतना ही नहीं लंबे समय से किसी तरह की मॉक ड्रिल भी आयोजित नहीं की गई है। ऐसे में यदि अस्पताल परिसर में आग लगती है, तो भारी नुकसान से इनकार नहीं किया जा सकता। वहीं इलाज करा रहे मरीजों की जान पर भी खतरा मंडरा रहा है। 

सुरक्षा को लेकर प्रबंधन गंभीर नहीं

फायर सेफ्टी के लिहाज से अस्पताल जैसी भीड़भाड़ और संवेदनशील जगहों पर विशेष सावधानी बरतनी जरूरी होती है। लेकिन रिम्स प्रशासन की उदासीनता ने सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। अस्पताल के कई विभागों में लगे अग्निशमन यंत्र न सिर्फ एक्सपायर्ड हैं, बल्कि कुछ जगहों पर तो पूरी तरह खराब अवस्था में हैं। यह स्थिति तब है जब झारखंड में गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और मौसम विभाग ने हीट वेव को लेकर अलर्ट भी जारी कर दिया है। ऐसे में आग लगने का खतरा भी अधिक होता है। 

विभाग ने दिए फायर सेफ्टी ऑडिट के निर्देश

स्वास्थ्य विभाग ने पिछले दिनों सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को फायर सेफ्टी ऑडिट कराने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी अस्पताल में फायर सेफ्टी मानकों का उल्लंघन पाया गया, तो संबंधित संस्थान के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए और इसके लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं समय पर दुरुस्त रहनी चाहिए। फिर भी रिम्स प्रबंधन का ध्यान इस ओर नहीं है। 

इनडोर में भर्ती है 1500 से ज्यादा मरीज 

अस्पताल के ओपीडी में हर दिन 2000 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं। वहीं 500 से ज्यादा मरीज इमरजेंसी में इलाज के लिए पहुंचते हैं। इसके अलावा इनडोर में हर समय 1500 से ज्यादा मरीज इलाजरत रहते हैं। ऐसे वार्डों में अगर आग लग जाए तो तत्काल काबू पाना मुश्किल होगा। इसमें मरीजों और उनके परिजनों को ज्यादा नुकसान हो सकता है। 

मॉक ड्रिल नहीं होने से भी परेशानी

एक ओर जहां अग्निशमन उपकरण खराब या एक्सपायर्ड हैं, वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन ने लंबे समय से कोई मॉक ड्रिल नहीं करवाई है। मॉक ड्रिल का उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों में कर्मचारियों और मरीजों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करना होता है। लेकिन रिम्स में इस ओर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासन को इस मामले में कोई चिंता नहीं है।

विभाग ने ये भी दिया है निर्देश

झारखंड सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के सभी सरकारी एवं निजी अस्पतालों, स्वास्थ्य संस्थानों और मेडिकल कॉलेज में आग और विद्युत सुरक्षा को लेकर सख्त निर्देश जारी किए हैं। भीषण गर्मी के मौसम को देखते हुए इन संस्थानों में फायर ऑडिट और इलेक्ट्रिक सुरक्षा ऑडिट समय पर कराना अनिवार्य कर दिया गया है। भले ही संस्थान पहले से एनओसी प्राप्त कर चुके हों। जारी दिशानिर्देश के अनुसार प्रत्येक जिले के मुख्य अग्निशमन अधिकारी और विद्युत सुरक्षा निरीक्षक से समन्वय स्थापित कर सभी अस्पतालों का दोबारा ऑडिट सुनिश्चित करना होगा। ऑडिट में पाई गई कमियों को स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों से यथाशीघ्र दूर करने की भी बात कही गई है।

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