सियोल: दक्षिण कोरिया के पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून को रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया। यह गिरफ्तारी राष्ट्रपति यून सुक-योल द्वारा मार्शल लॉ लागू करने के निर्णय में उनकी कथित भूमिका की जांच के बाद की गई है। इस कदम ने देश में राजनीतिक उथल-पुथल मचा दी है, जिसमें विपक्ष ने राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग की मांग की है और विरोध प्रदर्शन भी किए जा रहे हैं।
मार्शल लॉ की घोषणा के बाद किम योंग-ह्यून पहले व्यक्ति हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, विपक्ष ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रपति यून और उनके समर्थक सेना तथा पुलिस के जरिए सत्ता पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे। उनका कहना है कि राष्ट्रपति द्वारा मार्शल लॉ लागू करने के तुरंत बाद सैनिकों और पुलिसकर्मियों को नेशनल असेंबली भेजकर विधानमंडल पर कब्जा किया गया।
पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून ने रविवार को जांचकर्ताओं के सामने आत्मसमर्पण कर दिया और बिना कोर्ट वारंट के उन्हें गिरफ्तार किया गया। पुलिस और अभियोजन पक्ष ऐसे मामलों में ‘आपातकालीन गिरफ्तारी’ का अधिकार रखते हैं, जहां व्यक्ति पर गंभीर अपराध करने का संदेह हो और वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकता हो या देश छोड़ने की कोशिश कर सकता हो। गिरफ्तारी के बाद, अधिकारियों को दो दिनों के भीतर कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट प्राप्त करना होगा।
किम योंग-ह्यून ने अपनी गिरफ्तारी से पहले एक अखबार से बातचीत में कहा कि वह राष्ट्रपति यून के मार्शल लॉ लागू करने के फैसले में शामिल थे, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कदम कानूनी प्रक्रियाओं के तहत लिया गया था। किम ने यह भी बताया कि मार्शल लॉ की घोषणा के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। हालांकि, नेशनल असेंबली द्वारा इसके खिलाफ मतदान करने के बाद, यह सैन्य शासन केवल छह घंटे तक ही जारी रह सका।
यह घटना राष्ट्रपति यून सुक-योल के लिए राजनीतिक संकट का कारण बनी है, क्योंकि उन्हें अपने ढाई साल के कार्यकाल में कई बार विपक्षी दलों से तीव्र आलोचना का सामना करना पड़ा है। विशेष रूप से, यून के खिलाफ उनकी पत्नी से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच में विशेष अभियोजक नियुक्त करने की मांग पर गतिरोध बना हुआ है।
राष्ट्रपति यून ने 2023 में मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा करते हुए कहा था कि इसका उद्देश्य नेशनल असेंबली को “राज्य विरोधी ताकतों” से मुक्त करना था। हालांकि, इसके तुरंत बाद उन्होंने इस कदम के लिए जनता से माफी मांगी। इस घटना ने दक्षिण कोरिया की राजनीतिक स्थिति को और भी जटिल बना दिया है, और यह दिखाता है कि राष्ट्रपति और विपक्ष के बीच की दरारें और गहरी हो गई हैं।
Read Also- Sanjeev Bhatt : पूर्व IPS अधिकारी संजीव भट्ट को बड़ी राहत, गुजरात की अदालत ने किया बरी