Ghatshila (Jharkhand) : सफलता कभी भी परिस्थितियों की मोहताज नहीं होती, यह बात झारखंड के एक किशोर ने सच साबित कर दिखाई है। जब कोई युवा मुश्किलों से जूझकर सफलता की बुलंदियों को छूता है, तो वह न सिर्फ अपने लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत बन जाता है। ऐसी ही एक प्रेरक कहानी झारखंड के बहरागोड़ा प्रखंड स्थित एक छोटे से गांव शामसांदा के निवासी दुर्गापद दंडपात की है।
विपरीत हालात में भी हासिल किया मुकाम
दुर्गापद दंडपात ने झारखंड अधिविद्य परिषद (JAC) द्वारा आयोजित इंटरमीडिएट कला संकाय की परीक्षा 2025 में शानदार प्रदर्शन करते हुए 89.8 प्रतिशत अंक प्राप्त किए और जिले में तीसरा स्थान हासिल कर अपने गांव और क्षेत्र का नाम रोशन किया है। दुर्गापद की इस सफलता की कहानी किसी आम छात्र जैसी नहीं है।
पिता दिव्यांग, खुद भी करते थे काम
दुर्गापद के पिता विवेकानंद दंडपात शारीरिक रूप से अक्षम होने के बावजूद कड़ी मेहनत और स्वाभिमान की मिसाल हैं। वे मेले में घूम-घूमकर बादाम (मूंगफली) बेचकर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। वहीं, दुर्गापद भी अपनी पढ़ाई के साथ-साथ अपने पिता का हाथ बंटाते थे और परीक्षा से ठीक एक दिन पहले तक मेलों में जाकर बादाम बेचते थे।
दृढ़ इच्छाशक्ति से मिली सफलता
लेकिन, जब हृदय में कुछ कर गुजरने की तीव्र इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी कठिनाई राह में बाधा नहीं बन सकती। दुर्गापद ने यह साबित कर दिया कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी विपरीत हों, अपने सपनों को साकार करने के लिए मेहनत ही सबसे बड़ा हथियार है।
समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत
आज के समय में जब समाज में असमानता और संसाधनों की कमी के कारण हजारों प्रतिभाशाली बच्चे पीछे रह जाते हैं, ऐसे मुश्किल हालातों में भी दुर्गापद जैसे छात्रों की कहानी समाज में उम्मीद की एक नई किरण जगाती है।
पूर्व विधायक ने किया सम्मानित, छात्रवृत्ति की घोषणा
हाल ही में पूर्व विधायक कुणाल षड़ंगी ने इस संघर्षशील छात्र को सम्मानित किया। यह सम्मान न केवल दुर्गापद का हौसला बढ़ाने वाला है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि प्रतिभाशाली युवाओं को उचित अवसर मिलना चाहिए। कुणाल षाड़ंगी ने लिली फाउंडेशन की ओर से दुर्गापद को आगे की पढ़ाई के लिए हर महीने 2500 रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान करने की घोषणा की है। इसके साथ ही उन्होंने राज्य के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन से दुर्गापद को कंप्यूटर उपलब्ध कराने की भी अपील की है, ताकि वह अपनी पढ़ाई को और बेहतर ढंग से जारी रख सके।
सहयोग मिले तो कोई प्रतिभा पीछे नहीं रहेगी
स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि सही समय पर उचित सहयोग और मार्गदर्शन मिले, तो कोई भी प्रतिभाशाली बच्चा पीछे नहीं रह सकता। दुर्गापद का सपना कंप्यूटर साइंस में बीटेक करना है, और यह सपना केवल उसका व्यक्तिगत लक्ष्य नहीं है, बल्कि यह इस बात का प्रतीक है कि शिक्षा के माध्यम से किसी के भी जीवन की दिशा को सकारात्मक रूप से बदला जा सकता है। हमें दुर्गापद जैसे छात्रों को न केवल आर्थिक रूप से बल्कि मनोबल और आवश्यक संसाधनों के स्तर पर भी पूरा समर्थन देना चाहिए। इस अवसर पर झामुमो के पंचायत अध्यक्ष, सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे और जिस प्रकार से उन्होंने इस प्रतिभा का उत्साहवर्धन किया, वह समाज में एक सकारात्मक बदलाव का संकेत है।